उत्तर प्रदेश के बाद अब महाराष्ट्र में भी किसानों का कर्ज माफ करने का एलान हो गया है। मध्यप्रदेश में भी किसान आंदोलन को थामने के लिए कई एलान हुए हैं। लेकिन क्या इतना काफी है, क्या इससे खेतों में लगी आग बुझ जाएगी।

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन फौरी तौर पर शांत होते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने कर्ज माफी का एलान कर दिया है। मध्य प्रदेश में भी राज्य सरकार ने कई बड़े एलान किए हैं। लेकिन अब दूसरे मोर्चे खुल रहे हैं और वो हैं गैर बीजेपी शासित राज्य। पंजाब और कर्नाटक में कर्ज माफी के लिए आंदोलन शुरू हो गया है, तो दूसरी तरफ बिहार में राजनीतिक वार-पलटवार शुरू हो गया है।

लंबे समय बाद किसानों के खुश होने की तस्वीरें दिख रही हैं। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में किसानों के लिए बड़े एलान किए गए हैं। महाराष्ट्र में सभी किसानों की कर्जमाफी का एलान हुआ है। लेकिन कर्जमाफी के एलान के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि बीजेपी और शिवसेना में कर्जमाफी का क्रेडिट लेने के लिए पोस्टरबाजी शुरू हो गई तो कांग्रेस भी क्यों पीछे रहती।

महाराष्ट्र में 5 एकड़ जमीन वाले किसानों का कर्ज तुरंत माफ होगा। जिनके पास ज्यादा जमीन है उन पर रास्ता सुझाने के लिए समिति बनेगी। वैसे राज्य के एक बड़े मंत्री ने कहा है कि अमीर किसानों का कर्ज माफ होने की गुंजाइश कम है। नई फसल के लिए तुरंत कर्ज दिया जाएगा। सरकार दूध के दाम भी बढ़ाएगी। आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे।

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भले ही किसान आंदोलन की आग ठंडी होती दिख रही हो। लेकिन अब दूसरे मोर्चे खुल रहे हैं और अब बारी है उन राज्यों की जहां बीजेपी की सरकार नहीं है। पंजाब और कर्नाटक में किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। पंजाब में अकाली दल और बीजेपी ने कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया है। यही नहीं बिहार में भी किसानों के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है।

बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि वो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसानों को उकसा रही है। अब बीजेपी पंजाब, बिहार और कर्नाटक में किसानों का कर्ज माफ करने के लिए राज्य सरकारों पर दबाव डाल रही है। सवाल ये है कि क्या किसानों की कर्जमाफी के नाम पर राजनीति हो रही है। क्या किसान राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

 

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