लखनऊ। प्रयागराज की एक संस्था ने लखनऊ सीजीएसटी कमिशनरेट के प्रधान आयुक्त सहित कई उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं साथ ही इसकी जांच करने के लिए भारत सरकार के मंत्रियों व जांच एजेसियों को पत्र भी लिखा।

संस्था से मिली जानकारी के अनुसार सीजीएसटी लखनऊ के वर्तमान प्रधान आयुक्त के पी सिंह, तत्कालीन प्रधान आयुक्त संजय राठी, सहायक आयुक्त स्वप्न श्रीवास्तव और सहायक आयुक्त जीजू फ्रांसिस ने मिलकर अनुचित और अवैध रूप से 3.52 करोड़ रुपये की रिफंड दुर्गा ट्रेडिंग कंपनी को स्वीकृत कर दिया, जबकि यह रिफ़ंड क़ानून और नियमों के खिलाफ़ हैं।

लखनऊ सीजीएसटी प्रधान आयुक्त संजय राठी ने माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर अवैध रिफंड लिए आदेश दिया।

ज्ञात हो कि किसी फर्म के मलिक के मृत्योपरांत किसी भी एकल फर्म के टैक्स का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। दुर्गा ट्रेडर्स के प्रोपराइटर की मृत्यु 2019 में हो गई थी। इसके बावजूद तत्कालीन प्रधान आयुक्त संजय राठी ने माननीय उच्चतम न्यायालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के प्रावधानों को दरकिनार कर, आदेश जारी कर पार्टी द्वारा स्वेच्छा से भरे शुल्क के कारण बताओ नोटिस में की गई की मांग को निरस्त करके रिफ़ंड के लिये आवेदन करा दिया।

शिकायतकर्ता ने सीजीएसटी लखनऊ के वर्तमान प्रधान आयुक्त के पी सिंह को फर्म को अवैध रूप से दिये गये करोड़ों के रिफंड के पूरे गोरखधंधे का मास्टर मांइड बताया।

हाल में वर्तमान प्रधान आयुक्त के पी सिंह ने इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अभिजात श्रीवास्तव को झंडे के अपमान एवं अनुशासनहीनता का झूठा आरोप लगाकर सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निरीक्षक अभिजात श्रीवास्तव सीजीएसटी एवं कस्टम विभाग में एक व्हिसल-ब्लोअर का कार्य कर रहे थे।

वह विभाग के उच्च-अधिकारियों के वित्तीय कदाचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज़ उठा रहे थे। इसी वजह से सीजीएसटी लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने बदला लेने की कार्रवाई करते हुए निरीक्षक अभिजात श्रीवास्तव को आरोपपत्र दे कर हाल में ही 12 मार्च को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। ये मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई पर गम्भीर कुठाराघात है।

संस्था से मिली जानकारी के अनुसार उच्च अधिकारियों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके सार्वजनिक धन का बंदरबांट किया। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा, उच्च अधिकारियों के विरूद्ध लगाये गये अरोपों में अन्यायपूर्ण संवर्धन और वसीयत की प्रोबेट ना होने के बावजूद गैरकानूनी रूप से करोड़ों रूपये का रिफंड स्वीकृत करने का आरोप है।

शिकायतकर्ता ने सीजीएसटी लखनऊ के वर्तमान प्रधान आयुक्त के पी सिंह, तत्कालीन प्रधान आयुक्त संजय राठी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ शिकायत में, संलग्न अधिकारियों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की चल-अचल संपत्तियों की गहन जांच की मांग की।

3 thoughts on “लखनऊ के CGST प्रधान आयुक्त पर अवैध रूप से करोड़ों का रिफण्ड स्वीकृत करने का आरोप”
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