लखनऊ। जेल में हथियार और हत्या दोनों होना इस बात का सबूत हैं कि अपराध और अपराधियों की जड़े कितनी मजबूत हैं। भ्रष्टाचार के बल पर खुले समाज में अपराध पनप रहा है तो जेलों मे अपराधी फलफूल रहे हैं। भ्रष्टाचार का एक बीज 31 मई को अपने रिटायर्डमेंट के दिन वर्तमान आईजी जेल पीके मिश्रा ने जो जेल अधीक्षकों और डिप्टी जेलरों के स्थानंतरण कर के बोया था। जिला कारागार बागपत में जेल अधीक्षक का पद खाली रखा गया और एक ऐसे जेलर को नियुक्त किया गया जो बीते पांच वर्षों में चौथी बार सस्पेंड हुआ है। इस जेलर का नाम है उदय प्रताप सिंह। यह ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल इतने बड़े स्तर पर खेला गया कि सब का ध्यान इसी ओर चला गया। कई अफसरों ने नई जेलों में पोस्टिंग लेने की जगह मेडिकल पर रहा पसंद किया। इससे निचले लेवल के कर्मचारियों का हौसला इतना बुलंद हो गया कि वह खुद को अधिकारी समझने लगे। जिनके हिस्से में भ्रष्टाचार का छाछ आता था वह अब मक्ख्खन के मालिक बन गये।
ज्ञात हो कि जेलर और उप जेलर की संषोधित स्थानातरण लिस्ट अभी तक जारी नहीं हुई है। जिससे यह लोग मन लगाकर शासकीय कार्य नहीं कर रहें हैं। कारागार विभाग में बाबू एवं टेकनीशियन वर्ग के कर्मचारियों का स्थानंतरण 15 से 20 वर्षों से नहीं हुआ है। यह वर्ग व्यवस्था को बनाता भी और खराब भी करता है क्योकि इस वर्ग का स्थानीय लोगों से मिलना-जुलना ज्यादा होता है। इन कर्मचारियों के लिए स्थानातरण का कोई नियम नहीं है।
कारागार विभाग में वरिष्ठ जेल अधीक्षक से पदोन्नति से डीआईजी होने के बावजूद इनको जेलों से नहीं हटया गया है। और न ही वहां पर वरिष्ठ जेल अधीक्षकों को पोस्ट किया गया है। इससे जेलों की व्यवस्था खराब हो रही है।
लम्बे समय से जेलर से जेल अधीक्षक व उप जेलर से जेलर की पदोन्नति न होने के कारण सभी अधिकारी हतोसाहित हैं। जिससे शासकीय कार्य पूरे मन से नहीं कर पा रहे। उप जेलरों को 18 वर्ष की सर्विस के बाद भी एक भी प्रमोशन विभाग द्वारा नहीं दिया है। जबकि अन्य विभागों में दो बार तक प्रमोशन दिया जा चुका है।
विभागीय सूत्रों की माने तो कारागार विभाग में कैबिनेट मंत्री के न होने से कई कार्य अधूरे पडे़ हुए हैं। यह विभाग निरीह बना हुआ है। जिस प्रकार से घर का कचरा डस्टबिन में डाला जाता है उसी प्रकार से समाज की गंदगी को जेलों में डाल दिया जाता है और फिर डस्टबिन को भूल जाते हैं। प्रदेश के जेलों की हालत डस्टबिन की जैसी हो गई है। सरकार को चाहिए कि वह कारागार विभाग में एक प्रमुख सचिव और एक कैबिनेट मंत्री को अलग से नियुक्त करें। जिससे लम्बित मामले जल्द से जल्द निपटाये जा सकें।

About The Author

Leave a Reply

%d bloggers like this: