54 साल बाद बांके बिहारी मंदिर का ‘रहस्यमयी कमरा’ खोला गया

मथुरा। धनतेरस के शुभ दिन पर बांके बिहारी मंदिर में एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ। पूरे 54 साल बाद मंदिर परिसर में बंद एक रहस्यमयी कमरे का ताला खोला गया। इस कमरे को लंबे समय से श्रद्धालु “खजाना रूम” के नाम से जानते रहे हैं। दरवाज़ा खुलने की खबर फैलते ही मंदिर परिसर और पूरे शहर में उत्साह और उत्सुकता की लहर दौड़ गई।
संभावित भीड़ और सुरक्षा को देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस ने परिसर में कड़े इंतज़ाम किए। पूरे क्षेत्र में पुलिस बल तैनात किया गया और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए प्रवेश पर नियंत्रण रखा गया।
क्यों बंद था यह कमरा?
मंदिर के सेवायत आभास गोस्वामी ने बताया कि यह कमरा गर्भगृह के ठीक बराबर स्थित है। इसे “खजाना” कहना उचित नहीं, क्योंकि यह असल में ठाकुर जी के दैनिक उपयोग की वस्तुओं — जैसे बर्तन, कलसे, स्नान सामग्री और छोटे आभूषण — को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था।
गोस्वामी ने बताया कि “पहले मंदिर में सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे, इसलिए ठाकुर जी की सेवा-सामग्री यहीं रखी जाती थी। बाद में कुछ कीमती आभूषण स्टेट बैंक मथुरा में जमा करा दिए गए थे।”
कमरे के अंदर क्या मिला?
जब ताला खोला गया, तो अंदर का नज़ारा थोड़ा चौंकाने वाला था — कमरे में पानी भरा हुआ था, फर्श पर कीचड़ और गंदगी जमा थी, और चूहे भी दिखाई दिए। तत्काल ही मंदिर प्रशासन ने साफ-सफाई का अभियान शुरू कर दिया।
‘खजाने’ की हकीकत
मंदिर प्रशासन ने साफ किया है कि किसी बड़े खजाने या राजकीय धन की उम्मीद नहीं है। आभास गोस्वामी के अनुसार, सफाई के बाद जो भी वस्तुएँ मिलेंगी, वे संभवतः ठाकुर जी की पूजा और सेवा में प्रयुक्त प्राचीन सामग्री होंगी — जैसे तांबे या चांदी के पुराने बर्तन, कलसे या छोटे आभूषण।
प्रशासन ने दोहराया कि इस कमरे में कभी कोई राजकीय खजाना नहीं रखा गया था, लेकिन इसके फिर से खुलने ने श्रद्धालुओं की आस्था और जिज्ञासा दोनों को एक बार फिर जागृत कर दिया है।