आज शेयर बाजार में तबाही के कई कारण

share market crash

नई दिल्ली। शेयर बाजार में 5 दिनों से जारी गिरावट 26 सितंबर को 6वें दिन और गहरा गई है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स, दोनों एक फीसदी तक गिरे। ऐसे में लाखों निवेशकों की चिंता और बढ़ गई है। सवाल है कि सप्ताह (why market is down today) के आखिरी कारोबारी सत्र पर मार्केट में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई? इसकी 3 बड़ी वजह हैं जिनके चलते बाजार में बिकवाली हावी है। निफ्टी 50 करीब एक फीसदी (0.95%)  टूटकर 2465 4.70 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, सेंसेक्स 732.22 प्वाइंट गिरकर 80426.46 के लेवल पर बंद हुआ।

बाजार की गिरावट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सभी सेक्टर्स में बिकवाली हावी है। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स (Midcap & Smallcap Shares) 2 फीसदी तक टूट गए हैं। वहीं, आईटी, ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, मेटल, मीडिया और एनर्जी भी 2 से डेढ़ प्रतिशत तक टूटे हैं।

फार्मा शेयरों पर ट्रंप का नया टैरिफ: भारतीय शेयर बाजारों का मूड 26 सितंबर को अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस ऐलान के बाद बिगड़ा है, जिसमें उन्होंने ब्रांडेड व पैटेंड फार्मा प्रोडक्ट्स पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।

इसके चलते निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.5% लुढ़क गया, और इसके सभी 20 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। सेक्टोरल इंडेक्स लगातार पाँचवें सत्र में गिरकर 21445.50 अंक के एक महीने के निचले स्तर पर पहुँच गया।

सन फार्मास्युटिकल के शेयर 3.4%, डॉ. रेड्डीज़ लैबोरेटरीज और सिप्ला जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर 2-3% से ज़्यादा गिर गए। वहीं, नैटको फार्मा, लॉरस लैब्स और बायोकॉन जैसी अन्य फार्मा कंपनियों के शेयर 3-5% तक लुढ़क गए हैं।

ग्लोबल आईटी कंपी एक्सेंचर के तिमाही नतीजों के चलते आईटी शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली, जो बाजार में गिरावट का एक और कारण रहा। दरअसल, एक्सेंचर ने तिमाही रिजल्ट में माँग में ‘अस्थिर’ सुधार के संकेत मिलने की बात कही। मैनेजमेंट की कमेंट्री और नतीजे दोनों के चलते आईटी शेयरों में भारी बिकवाली आ गई।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा फिर से अलग-अलग सामानों पर भारी टैरिफ के नए ऐलान से शुक्रवार को एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई। कमजोर वैश्विक संकेतों से भी बाजार का मूड बिगड़ा है। इसके अलावा, उम्मीद से ज़्यादा मज़बूत अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के कारण व्यापारियों ने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में भारी कटौती की उम्मीद कम कर दी।