इलाहाबाद,  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राजेश और नुपूर तलवार को उनकी किशोरी बेटी आरुषि और घरेलू सहायक हेमराज के सनसनीखेज हत्या मामले में आज बरी कर दिया। घटना वर्ष 2008 की है। अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह फैसला तलवार दंपति के लिए नौ वर्ष बाद राहत लेकर आया है। सीबीआई की अदालत ने उन्हें 14 वर्षीय आरुषि की हत्या का दोषी ठहराया था। सीबीआई की अदालत ने तलवार दंपति को 26 नवंबर 2013 को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी के नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सीबीआई की अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों और हालातों को ध्यान में रखते हुए दंत चिकित्सक दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। नुपूर और राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं। मई 2008 में तलवार दंपति के नोएडा स्थित आवास पर उनकी बेटी आरुषि अपने कमरे में मृत मिली थी। उसकी हत्या गला काटकर की गई थी। शुरुआत में शक की सुई 45 वर्षीय हेमराज की ओर घूमी थी क्योंकि घटना के बाद से वह लापता था। लेकिन दो दिन बाद हेमराज का शव बिल्डिंग की छत से मिला था। इस मामले में लापरवाहीपूर्ण तरीके से जांच करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की कड़ी आलोचना हुई थी।
इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी थी।

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