नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने आम्रपाली ग्रुप के अल्ट्रा होम्स के खिलाफ  दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी को मंजूरी दे दी है. ग्रुप के कई प्रोजेक्ट्स पर इसका असर पड़ सकता है. इसके अलावा ग्रुप से जुड़ी अन्य कंपनियों के प्रोजेक्ट्स पर इसका असर पड़ेगा. संजय गुप्ता को इनसॉल्वेंसी रेजॉलूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) के तौर पर नियुक्त किया गया है. 40 हजार से भी ज्यादा घर खरीदारों पर इसका असर पड़ने की आशंका है.

आम्रपाली इंफ्रास्ट्रक्चर के ख‍िलाफ शुरू हो चुकी है प्रक्रिया

इससे पहले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) आम्रपाली इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ दिवालिया घोषि‍त शुरू करने की अर्जी मंजूर कर चुका है. यह याचिका बैंक ऑफ बड़ौदा ने दाखिल की थी।  आम्रपाली इंफ्रास्ट्रक्चर ने बैंक ऑफ बड़ौदा के 97.30 करोड रुपये के लोन पर डिफॉल्ट किया था।

जेपी इंफ्रा भी चाहती है दिवालिया होना

आम्रपाली की तरह जे पी इंफ्रा भी खुद को दिवालिया करार दिए जाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख बरकरार है. कोर्ट ने कंपनी को 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है और इसके लिए कंपनी को 27 अक्टूबर तक का वक्त दिया है. साथ ही कोर्ट ने कंपनी के एमडी सहित सभी निदेशकों के विदेश जाने पर रोक लगा दी है और कहा है कि जरूरी होने पर वह विदेश यात्रा के लिए पहले कोर्ट की इजाजत लें. कोर्ट ने कंपनी पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कंपनी बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें घर खरीदारों की फिक्र है. कोर्ट ने इसके साथ बैंकों को जेपी के फ्लैट्स खरीदने के लिए होम लोन लेने वालों के साथ नरमी बरतने के निर्देश दिए हैं.

 दर्ज हो चुकी है एफआईआर

सितंबर के पहले हफ्ते में ही आम्रपाली बिल्डर्स के खिलाफ निवेशकों ने ग्रेटर नोएडा के बिसरख थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. बिल्डर्स के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत ये मामले दर्ज किए गए हैं. आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा, डायरेक्टर मोहित गुप्ता और शिव प्रिय के खिलाफ एफआईआर दर्ज है.

आम्रपाली ग्रुप अपने ज्यादातर निवेशकों से फ्लैट की 80 से 90 फीसदी रकम वसूल चुका है लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी ग्रुप का कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं है. आम्रपाली बिल्डर्स पर नोएडा अथॉरिटी के साथ-साथ बैंकों का भी काफी पैसा बकाया है.

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