उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने ई-टेण्डरिंग वेबसाइट के माध्यम से एक टेण्डर निकाला है। इस निविदा के माध्यम से अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसे नियम व शर्तों को बनाया गया है कि कोई दूसरी कंपनी न तो टेण्डर डाल सके और न ही टेण्डर पा सके।
इस निविदा के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के लिए विभिन्न पदों (निजी सचिव, कम्प्यूटर सहायक, वाहन तथा अनुसेवक) का आउटसोर्सिंग के माध्यम से जनशक्ति उपलब्ध कराने हेतु सेवा प्रदाता एजेंसी का चयन किया जायेगा।
निविदा की पहली शर्त के अनुसार सेवा प्रदाता एजेंसी आठ वर्ष पुरानी होनी चाहिए। इस शर्त को पूरा कर पाने की क्षमता चुनिदा सेवा प्रदाता एजेंसी के पास ही है। वहीं निविदा के भाग दो के बिन्दू संख्या दो में इसे बढाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या सरकार अपनी टेण्डर नीति में या किसी शासनादेश में कहा है कि क्या उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में निविदा डालने के लिए आठ वर्ष या 10 वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है।
उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में सेवा प्रदाता एजेंसी का काम कर रहीं कंपनियों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी विभागों में निविदा डालने के लिए कम से कम तीन साल पुरानी कंपनियां निविदा डालने के लिए अहर्ता रखती हैं।
निविदा की दूसरी शर्त के अनुसार सेवा प्रदाता एजेंसी के पास शासकीय/अद्र्वशासकीय विभागों में कम से कम 200 कुशल कार्मिकों की सेवायों का एकल आदेश होना चाहिए। वहीं निविदा के भाग दो के बिन्दू संख्या 13 में इसे बढाकर 500 कर दिया गया है। इस शर्त से भी स्पष्ट हो जाता है कि उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद विभाग ने जानबूझकर अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुचाने के लिए इस शर्त को रखा है। इस शर्त को भी ज्यादातर सेवा प्रदाता एजेंसियां पूरा नहीं कर पायेंगी।
निविदा आमंत्रण सूचना में पदों की संख्या जानबूझ कर छुपाई गई है। कहीं से भी यह नहीं पता चल रहा है कि इस प्रोजेक्ट की लागत क्या है।

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