लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए 14 अक्टूबर 2015 को एक शासनादेश जारी किया था। जिसके अनुसार कोई भी शासकीय, अद्र्वशासकीय विभाग, सार्वजनिक उपक्रम, निगम, संस्था, संस्थान आदि जिन्हें विभिन्न प्रकार की जनशक्ति की आवश्यकता होगी वह अपनी आवश्यकतानुसार उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम को सीधे मांग प्रेषित करेंगे। हालाकि उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लि0 कानपुर के माध्यम से कार्मिक इंगेज करने की बाध्यता नहीं होगी, वरन प्राथमिकता के आधार पर विकल्प के रूप में उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम कानपुर को मैनपावर आउट सोर्सिंग एजेन्सी माना जायेगा।
इसी क्रम में प्रधानाचार्य सहारनपुर मेडिकल कालेज ने शासनादेश को दरकिनार करते हुए व्यक्तिगत रूप से निविदा आमंत्रित की है जो कि कार्मिकों की उपलब्धता के संदर्भ में न्याय संगत नहीं है।
ज्ञात हो कि सहारनपुर मेडिकल के प्रधानाचार्य ने यूपीएसआईसी को मैनपावर आपूर्ति के लिए कार्यादेश दिया था। लेकिन वर्तमान में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक केके गुप्ता के दबाव के कारण अनुबंध नहीं किया गया।
जानकारी के अनुसार वर्तमान में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक केके गुप्ता ने अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुचाने के लिए प्रधानाचार्य सहारनपुर मेडिकल कालेज से व्यक्तिगत टेंडर निकालने का आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि ये वहीं केके गुप्ता है जिन्होंने वर्ष 2016 में मेरठ मेडिकल कालेज में प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए यूपीएसआईसी को अंधेरे में रखकर अपनी चहेती कंपनी को सृजित पदों से ज्यादा का वर्क आर्डर दिया था।
आज जब उनकी चहेती कंपनी को यूपीएसआईसी ने अपने यहां कार्य करने पर रोक लगा रखी है तो ओपन टेंडर के माध्यम से अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 14 अक्टूबर 2015 के शासनादेश को नकार दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आने वाले समय में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक केके गुप्ता अपनी चहेती कंपनी को फायदा पहुचाने के लिए सभी मेडिकल कालेजों का टेंडर निकलाने वाले हैं।
टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को दिया जाने वाला सेवा शुल्क पांच प्रतिशत से कम नहीं होगा। जबकि इसके लिए कोई भी शासनादेश नहीं है। अगर पांच प्रतिशत सेवा शुल्क देना ही है तो यूपीएसआईसी को क्यो नहीं।
नियमों के अनुसार टेंडर के धरोहर धनराशि (ईएमडी) कुल प्रोजेक्ट कास्ट की दो प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। जबकि निकाले गये टेंडर सी ईएमडी 25 लाख रूपये रखी गई है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मंच से कहा था कि टेंडर प्रक्रिया को स्वच्छ एवं प्रतिस्पाधात्मक बनाने के लिए नियमों सामान्य रखा जाये। लेकिन इस टेंडर की निविदा शुल्क केवल अमीर कंपनियों को ध्यान में रखकर 15 हजार रूपये रखी गई है। जबकि यह एक ई-निविदा के माध्यम से किया जाना है। ऐसा प्रतीत होता है कि सहारनपुर मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य प्रधानमंत्री के विचारों से सहमत नहीं हैं।

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