हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर माह में दो बार एकादशी व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में निर्जला एकादशी को सभी 24 एकादशियों में सबसे अधिक शुभ व पुण्यकारी बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सभी एकादशी व्रतों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कुछ लोग बिना खाए व जल ग्रहण किए व्रत रखते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी, शुक्रवार 10 जून 2022 को सुबह 07 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 11 जून 2022 को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। 11 जून को व्रत पारण किया जाएगा। व्रत पारण का समय 11 जून को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

निर्जला एकादशी महत्व- 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्रत करने वाले व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल , सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी , पंचामृत , अक्षत, तुलसी दल, चंदन , मिष्ठान

निर्जला एकादशी पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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