हल्द्वानी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की हल्द्वानी में आयोजित तिरंगा यात्रा में जुटी भीड़ ने उत्तराखंड के राजनैतिक दलों की चिंता बढा दी है। तिरंगा यात्रा के लिए कुमाऊ के मुख्य प्रवेश द्वार हल्द्वानी में जिस तरह की भीड़ जुटी, उसने कई दलों के समीकरण बिगाड़ने के संकेत दे दिए हैं। हालांकि, कुछ अज्ञात कारणों से अरविंद केजरीवाल को हल्द्वानी में तिरंगा यात्रा को आधे में ही छोड़कर दिल्ली निकलना पड़ा।

बरेली रोड से लेकर मंगल पड़ाव क्षेत्र तक निकली भीड़ भरी के साथ कुछ देर चलकर अरविंद केजरीवाल ने तिरंगा लहराया और कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाया। वह रामलीला मैदान में रैली संबोधित करने वाले थे। बीच में चले जाने से उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं में मायूसी जरूर देखने को मिली।

हालांकि, जिस तरह तिरंगा यात्रा में हजारों लोगों का हुजूम उमड़ा उससे कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला। तिरंगा यात्रा की शुरुआत प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद हुई। इसमें जुटी पार्टी कार्यकर्ताओं और शहर के लोगों की भीड़ देख हर कोई हैरान था।

उत्तराखंड की राजनीति में अब तक कांग्रेस और बीजेपी दो ही मुख्य पार्टियां रही हैं। हालांकि, बीएसपी और उत्तराखंड क्रांति दल के भी विधायक रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा। अभी बीजेपी सत्ता में है। उत्तराखंड की राजनीति में हर चुनाव में सत्ता बदलती रही है। वक्त-वक्त पर यहां सामाजिक हलकों में यह भी बात उठती रही है कि उत्तराखंड को विकल्प की जरूरत है। कांग्रेस और बीजेपी के इतर भी कोई मजबूत पार्टी उत्तराखंड को चाहिए। लेकिन क्या आम आदमी पार्टी वह विकल्प बन पाएगी?

उत्तराखंड सैन्य बहुल राज्य है। यहां हर गांव, हर मोहल्ले में पूर्व सैनिक हैं। आम आदमी पार्टी ने भारतीय सेना से रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को अपना सीएम उम्मीदवार बनाया है। पूर्व सैनिकों को बीजेपी का समर्थक माना जाता है। बीजेपी भी कभी सर्जिकल स्ट्राइक तो कभी बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगती रही है। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी को फायदा भी हुआ है। लेकिन आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार भारतीय सेना से रिटायर्ड ऑफिसर हैं। अगर भूतपूर्व सैनिक उनकी तरफ जाते हैं तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जो लोग बीजेपी से नाराज हैं वह भी आम आदमी पार्टी की तरफ जा सकते हैं।

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