नई दिल्ली, कोरोनावायरस के दंश से लड़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इसी वजह से सरकार का राजस्व भी बुरी तरह से घटा है लेकिन इस समय सरकार का काम बेहद बढ़ गया है और खर्च भी बढ़ गया है। इनमें संतुलन बिठाने के लिए सरकार ने कल ही सरकारी कर्मचारियों का डीए या महंगाई भत्ता एक जुलाई 2021 तक फ्रीज करने का फैसला लिया है। आइए हम बताते हैं कि इससे कर्मचारियों और अधिकारियों को कितना घाटा होगा।

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों के डीए की कम से कम तीन किस्त तो मारी ही गई है। एक जनवरी 2020 से जो डीए की किस्त ड्यू हुई है, उस अवधि के लिए तो सरकार ने 4 फीसदी के डीए बढ़ोतरी की घोषणा भी कर दी थी। इसके लिए बीते मार्च के दूसरे पखवाड़े में बकायदा मंत्रिमंडल ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव भी पारित किया था लेकिन इस पर अमल होता, इससे पहले ही लॉकडाउन हो गया। इसके बाद एक जुलाई 2020 और एक जनवरी 2021 से लगने वाली किस्त। मान लिया जाए कि इन दोनों किस्तों में न्यूनतम तीन-तीन फीसदी की भी बढ़ोतरी होती तो कुल मिलाकर 10 फीसदी का लाभ तो हो ही जाता।

इस फैसले से किस स्तर के कर्मचारी और अधिकारी को कितना घाटा होगा, इसके लिए इन दिनों एक टेबल इनके बीच तेजी से घूम रहा है। वेतन-भत्तों के विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा बनाए गए इस टेबल में बताया गया है कि सरकारी नौकरी के पायदान में सबसे नीचे आने वाले चपरासी और खलासी की भी बात करें तो इस समय उनका बेसिक पे 18000 रुपये है। इस अवधि मे उन्हें कुल मिला कर 38880 रुपये का नुकसान हो रहा है। जिनका बेसिक पे बढ़ता गया, उनका नुकसान बढ़ता गया। यदि अधिकारियों में बात करें तो सेक्शन आफिसर पद पर कई साल कम कर चुके अधिकारी या अंडर सेक्रटरी का बेसिक पे जनवरी 2020 में यदि 83300 रुपये होगा, तो इनको जून 2021 तक 158628 रुपये का नुकसान हो चुका होगा। इसी तरह सरकारी ओहदे में सबसे उपर माने जाने वाले कैबिनेट सेक्रटरी का अधिकतम (एपेक्स लेवल) बेसिक पे 157900 रुपये होगा और उक्त अवधि में उनका नुकसान 341064 रुपये का होगा।

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के इन भत्तों को फ्रीज करने से वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-2022 में सरकार को कुल 37530 करोड़ रुपए की बचत होगी। सरकार के इस फैसले से केंद्र सरकार के करीब 48 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर प्रभावित होंगे। मतलब कि कुल मिलाकर एक करोड़ 1.13 करोड़ परिवार इस फैसले की जद में होंगे।

आमतौर पर केंद्र सरकार के डीए को ही राज्य सरकारें भी लागू करती हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जब केंद्र सरकार ने इन भत्तों को फ्रीज कर दिया है, तो राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए ऐसा ही करेंगे। यदि ऐसा हुआ तो राज्यों का इस मद में 82566 करोड रुपये की बचत होगी। यदि राज्यों एवं केंद्र सरकार की कुल बचत को जोड़ दिया जाए तो 1.20 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी।

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