नयी दिल्ली, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों और विपक्षी दलों द्वारा जतायी गयी चिंताओं के बीच गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा रजिस्टर को अद्यतन करने के दौरान कागजात या बायोमेट्रिक जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाएगा।

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि एनपीआर कवायद के तहत विभिन्न प्रश्नों वाले फार्म को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि कवायद के दौरान ‘‘कोई भी कागजात देने के लिए नहीं कहा जाएगा’’ और ‘‘बायोमेट्रिक जानकारी भी नहीं ली जाएगी।’’

हालांकि, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक एनपीआर डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ ही बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे ।

इसमें कहा गया, ‘‘एनपीआर का लक्ष्य देश में रहने वाले हर निवासी का समग्र डेटाबेस तैयार करना है। डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे।’’

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देश के विभिन्न हिस्से में विरोध प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल और केरल ने एनपीआर को अद्यतन करने का काम फिलहाल रोक दिया है।

मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर राज्यों ने एनपीआर से संबंधित प्रावधानों को अधिसूचित कर दिया है ।

एनपीआर देश में रहने वाले निवासियों का रजिस्टर है। नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम, 2003 के प्रावाधनों तहत यह स्थानीय (गांव/कस्बा) उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है।

नियम में इसका उल्लंघन करने वाले पर एक हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।

असम को छोड़कर पूरे देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एनपीआर की कवायद वर्ष 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच पूरी की जानी है।

एनपीआर की कवायद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3941.35 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

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