पत्रकारिता छोड राजनीति में आये पप्पू ने सादगी के दम पर चुनाव जीत लिया। चुनाव परिणाम आते ही पत्रकारों ने उसे घेर लिया। पत्रकारों ने पप्पू से पहला प्रश्न पूछा कि आप पत्रकारिता छोडकर राजनीति में क्यो आये। पप्पू ने बडे ही सहज तरीके से जवाब दिया। समाज सेवा के लिए।
तभी एक पत्रकार ने कहा, ‘यह काम तो आप पत्रकारिता में रह कर भी कर सकते थे?’
स्वयं को घिरता देख पप्पू ने कहा, ‘कि शायद आप लोगों को मालूम नहीं कि हरा भरा पेड ही दूसरों को छाया दे सकता है। मैने 10 साल तक पत्रकारिता करने के बाद ही राजनीति में आने का फैसला किया है।’
तभी एक पत्रकार ने पूछा, ‘कि क्या आपके हरे भरे शब्द का अर्थ स्वयं सेवा से है।’
इस पर पप्पू तुरंत बोला, ‘यह आप कैसे कह सकते हैं। मैंने यह चुनाव लडने से पहले ही कह दिया था कि मैं कोई भी सरकारी सुविधा नहीं लूंगा। स्वयं की संपत्ति के नाम पर मेरे पास एक मोटर साइकिल है। जनता की सेवा के लिए मैं उसी का उपयोग करूगा।’
तभी दूसरे पत्रकार ने प्रश्न पूछा, ‘कि आप की पार्टी की सरकार बनने जा रही है आप इसका श्रेय किसको देंगे।’
पप्पू ने तुरंत जवाब दिया, ‘पार्टी का मुख्य एजेंडा फूड सिक्योरिटी था। इसी के दम पर हम चुनाव जीते हैं।’
पत्रकारः फूड सिक्योरिटी के बारे में जरा बताईये।
पप्पूः फूड सिक्योरिटी का अर्थ है ‘खादय सुरक्षा’ अर्थात हमारी पार्टी खाने को प्रमुखता से सुरक्षा प्रदान करेगी। हम खाने की बरबादी को रोकेंगे। हम जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे कि लोग खाना बरबाद न करें। हम वैज्ञानिकों की एक टीम बनाएंगे जो खराब हो रहे खाने को री-सायकल करेंगे।’
पत्रकारवार्ता खत्म करने के बाद पप्पू घर पहुंचा तो पत्नी पहला सवाल पूछा, ‘कि आप की लाल बत्ती वाली गाडी कहां हैं और मेरी हीरे की अंगूठी का क्या हुआ।’
पप्पू ने पत्नी ने कहा, ‘तुम तो जानती हो कि मैने यह चुनाव जीतने के लिए जनता से वादा किया था कि मैं सरकारी सुविधाएं नहीं लूगा।’
पत्नीः आपने शादी से पहले यह भी वादा किया था कि आप मुझे हीरे की अंगूठी भी दिलाएंगे। भगवान जाने कम होगी अपनी कार और अपना घर।
पप्पू ने पानी पीने के लिए फ्रिज खोला तो देखा उसमे कई ब्रेड के पैकेट रखे हैं। उसने अपनी पत्नी से पूछा ये इतने ब्रेड के पैकेट कहां से आए।
पत्नीः पडोसी देकर गए हैं। कह रहे थे कि उनके यहां यह खराब हो रहे थे। आपने टीवी कहा होगा कि खाने को खराब होने से बचाएंगे। ब्रेड को री-सायकल करेंगे।
पप्पू परेशान होकर सोचने लगा कि अभी तो वैज्ञानिकों टीम बनी नहीं है तब तक के लिए क्या करू।
पप्पू ने अपने एक खास पत्रकार मित्र को फोन लगाया और उससे घर आने का आग्रह किया।
थोडी देर में वह पप्पू का मित्र घर आ गया।
पप्पूः भाई पडोसी बहुत से ब्रेड के पैकेट दे गए हैं समझ नहीं आ रहा क्या करू।
मित्रः भाई मैने तो पहले ही कहा था फूड सिक्योरिटी के बारे में कुछ मत बोलना। चलो जो हुआ सो हुआ अब बताओं करना क्या है।
पप्पूः भाई फिलहाल तो इस ब्रेड को घर से हटाकर ठिकाने लगाना है। क्या इसे फेंक दिया जाये।
मित्रः भाई ऐसी गलती न करना। मीडिया वाले 24 घंटे कूडे में मिले ब्रेड के पैकेट दिखाते रहेगे। पहले ही दिन से थू-थू हो जाएगी।
पप्पूः तब क्या करें। आओ चले शहर का मुआयना कर आते हैं।
पप्पू अपने घर से अपने मित्र के साथ निकला ही था कि उसकी नजर एक ब्रेड वाले पर पडी। उसने तुरंत ब्रेड वाले को अवाज दी।
पप्पूः अरे ब्रेड वाले भइया जरा सुनना।
ब्रेडवालाः नमस्ते साहब। ब्रेड चाहिए क्या।
पप्पूः नहीं। ब्रेड नहीं चाहिए। बस ये बताओं कि तुम रोज कितने ब्रेड के पैकेट बेच लेते हो।
ब्रेडवालाः साहब हम रोज ब्रेड कंपनी से 100 पैकेट लेते हैं। जिसमे से 5-10 बच ही जाते हैं।
पप्पूः बचे हुए पैकेट का क्या करते हो।
ब्रेडवालाः साहब वाले ब्रेड कंपनी वापस ले लेती है।
पप्पूः कंपनी वापस आई ब्रेड का क्या करती है।
ब्रेडवालाः साहब ज्यादा तो पता नहीं पर सुना है कि ब्रेड को सुखाकर उससे मोबाइल के कवर बनाये जाते हैं।
पप्पू के मित्र ने ब्रेडवाले से कहा अच्छा अब तुम जाओ और पप्पू को समझाया कि ब्रेड को सुखाने से क्या वह प्लास्टिक बन जायेगा। दोनों मोटरसाइकिल पर सवार होकर वहां से चल दिये।
मित्रः भाई मेरी सलाह मानो तो कम से कम सरकारी गाडी तो ले लो। देख रहे हो न अभी गर्मी की शुरूआत है आने वाले टाइम में लू चलेगी तब क्या करोगे।
पप्पूः भाई गाडी को छोडो ब्रेड के बारे में सोचो।
तभी पप्पू की नजर भिखारियों पर पडी और उसने अपने मित्र से पूछा कि यार अगर घर में पडी ब्रेड को इन भिखारियों को दे दिया जाये तो कैसा रहेगा।
मित्रः ठीक रहेगा। लेकिन तुमने तो मीडिया से कहा है कि तुम खाने को री-सायकल करोगे। ऐसे में तुम ब्रेड इन भिखारियों को बांटोगे तो खबर बन जायेगी।
पप्पूः तो ऐसा करते हैं कि रात में आकर इन को ब्रेड बांट देगे।
मित्रः रात में 2 बजे की बाद ही ब्रेड बांटने निकलना क्योंकि डेली अखबार वाले 2 बजे के बाद ही सोते हैं।
सारी प्लानिंग करने के बाद पप्पू घर पहुंचा तो देखा कि घर चारो तरफ ब्रेड के पैकेट पडे हैं। घर में पैर रखने तक की जगह नहीं है। पप्पू ने अपनी पत्नी से कहा कि वह सोने जा रहा है क्योंकि उसे सुबह जल्दी उठना है।
दूसरे दिन सुबह 9 बजे पप्पू को उसकी पत्नी ने उसे जगाया और कहा कि जाओ जाकर दूध और ब्रेड ले आओ। ब्रेड का नाम सुनते ही उसे याद आया कि उसे आज तो जल्दी उठकर भिखारियों को ब्रेड बांटने जाना था।
तभी पत्नी की दोबारा आवाज लगाई सपना पूरा हो गया हो तो उठ जाओं।
लेखक परिचय:
श्रवण गुप्ता
संपादक
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