कौशल किशोर चतुर्वेदी

किसान कर्ज़माफ़ी पर मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस के बीच घमासान जारी है। अब मंत्री भूपेंद्र सिंह के कर्जमाफ़ी पर बयान के बाद विधानसभा की साख दाँव पर लग चुकी है।यह सवाल मुँह चिढ़ा रहा है कि विधानसभा में ग़लत जानकारी देने की हिम्मत किसकी हुई है? हालाँकि अब यह बात साफ़ हो चुकी है कि कर्ज़माफ़ी पर कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है, इसका ख़ुलासा होकर रहेगा। क्या दो दलों की सियासी लड़ाई में आखिरकार गाज अफ़सरों पर गिराकर मामले को रफ़ा दफ़ा करने की तैयारी है। वैसे अगर देखा जाए तो विधानसभा में जानकारियां हमेशा सही ही दी जाती है, इसका दावा नहीं किया जा सकता।विधानसभा गवाह है कि सत्ताधारी दल के विधायकों ने ही कई बार आपत्ति दर्ज कराई है कि मंत्रियों ने एक ही सवाल के दो अलग-अलग उत्तर विधानसभा में पेश किए हैं। ख़ैर झूठ बोले कौआ काटे … जैसे भाव सियासत में बेमानी हैं। और आज नहीं तो कल इस बात का फैसला हो ही जाएगा कि क़र्ज़माफ़ी पर आख़िर कौन झूठ बोल रहा है और सच्चाई क्या है…?

फ़िलहाल तो कांग्रेस इस बात को लेकर ख़ुश है और हवा में उछल रही है कि विधानसभा में कांग्रेस सरकार के समय हुई कर्ज़माफ़ी की बात भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार ने विधानसभा में स्वीकार कर ली है। आगामी विधानसभा उपचुनावों में अब कांग्रेस ख़ुद को किसानों के हितैषी होने का खुलकर दावा करेगी और भाजपा पर किसान क़र्ज़माफ़ी के नाम पर झूठ बोलने और प्रदेश की जनता को गुमराह करने का आरोप भी लगाएगी। और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर निशाना साधते हुए किसानों की ऋणमाफी पर झूठ बोलने के लिए शिवराज और सिंधिया से माफी माँगने की माँग भी कर डाली। उनका दावा है कि भाजपा सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया कि लगभग 27 लाख किसानों का साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रूपये का ऋण माफ हुआ।पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि किसान क़र्ज़माफ़ी पर मेरी सच्चाई प्रदेश की जनता के सामने आई, भाजपा के झूठ का पर्दाफाश हुआ।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान में कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की ऋण माफी पर पहले दिन से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरदित्य सिंधिया झूठ बोलते रहे हैं। इस झूठ की राजनीति का पर्दाफाश स्वयं शिवराज सरकार ने विधानसभा में कर दिया है और स्वीकार किया कि प्रदेश में प्रथम और द्वितीय चरण में कांग्रेस की सरकार ने 51 जिलों में 26 लाख 95 हजार किसानों का 11 हजार 6 सौ करोड़ रूपये से अधिक का ऋण माफ किया है। प्रदेश की जनता से सफेद झूठ बोलने और गुमराह करने की घृणित राजनीति के लिए शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए ।इस सच्चााई को स्वीकार करने के बाद शिवराज सरकार को शेष किसानों की ऋण माफी की प्रक्रिया को शीघ्र शुरू करना चाहिए । उन्होंने कहा कि विधानसभा में जो बहाना ऋण माफी योजना की समीक्षा का बनाया गया है , वह यह बताता है कि भाजपा और शिवराज सिंह किसानों के विरोधी है । कांग्रेस सरकार ने ऋण माफी की जो योजना बनाई थी ,वह पूर्णत: विचार विमर्श के बाद ही तैयार की गई थी , जिसकी समीक्षा करने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है।

तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस की ख़ुशी पर ब्रेक लगाते हुए प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कर्जमाफी पर विधानसभा में दी गयी जानकारी को ठीक नहीं माना है।उनका कहना है कि जांच के आदेश दिए गए है।

फिलहाल जाँच के बाद रिपोर्ट का इंतज़ार करें, फिर सब साफ़ हो जाएगा कि कर्ज़माफ़ी सही है और कांग्रेस सही है या फिर अफ़सर सही है या भाजपा सही है…?

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