लखनऊ। शासकीय कार्यों में भष्ट्राचार का समूल नाश करने के गगनभेदी नारों के बीच उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम तंत्र ने डंके की चोट पर विवादित मेसर्स श्याम स्टील पर मेहरबानी लुटाई है। निगम की विभिन्न निर्माण परियोजनाओं में स्टील आपूर्ति के लिये वर्ष 2013 में सूचीबद्ध होने वाली श्याम स्टील को वर्ष 2014 में अधोमानक आपूर्ति सहित अन्य कारणों के आरोप के चलते बाहर कर दिया गया था। अब उसी फर्म पर मेहरबानी लुटाई गई है।

निगम मुख्यालय में तैनात परियोजना प्रबंधक पीके पाण्डेय के हस्ताक्षर से जारी आदेश में लिखा है कि, उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम प्रबंध तंत्र द्वारा जून 2018 में गठित समिति की संस्तुति पर स्टील निर्माता मेसर्स स्टील अथारिटी ऑफ इण्डिया लखनऊ, मेसर्स राष्ट्रीय इस्पात निगम कानपुर, मेसर्स टाटा स्टील कानपुर, मेसर्स इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स कोलकाता, मेसर्स जिन्दल स्टील एण्ड पावर कानपुर और मेसर्स श्याम स्टील इण्डस्ट्रीज कोलकाता को सूचीबद्ध किया गया है। यह कंपनियां सेतु निगम की निर्माण इकाईयों के अन्तर्गत निर्माणाधीन सेतुओं पर अक्टूबर 2018 से सितम्बर 2020 तक आठ, 10 और 12 एमएम टीएमटी स्टील की आपूर्ति करेंगी।

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में सेतु निगम प्रबंध तंत्र द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने निर्णय लिया था कि सेतु निगम की निर्माण परियोजनाओं पर स्टील आपूर्ति के लिये उन्हीं आपूर्तिकर्ताओं को सूचीबद्ध किया जायेगा, जो भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय में सूचीबद्ध हों। इस्पात मंत्रालय की इस सूची में मेसर्स श्याम स्टील का नाम मौजूद नहीं है। बावजूद इसके सेतु निगम के जिम्मेदारों ने इस फर्म पर अपनी मेहरबानी लुटाते हुए इसे स्टील आपूर्ति के लिये सितम्बर 2020 तक सूचीबद्ध कर लिया। इस सबंध में जब परियोजना प्रबंधक पीके पाण्डेय से जानकारी की गई, तो उन्होंने बताया पूर्व में यह व्यवस्था बनी थी कि इस्पात मंत्रालय भारत सरकार में सूचीबद्ध फर्मों व कंपनियों को स्टील आपूर्ति के लिये सूचीबद्ध किया जायेगा। पर, इस्पात मंत्रालय नए स्टील आपूर्तिकर्ताओं को अब सूचीबद्ध नहीं कर रहा है। समिति की संस्तुति पर मेसर्स श्याम स्टील को सेतु निगम में सूचीबद्ध किया गया है।

आपूर्तिकर्ता फर्मों की सूचीबद्धता के लिये प्रकाशित निविदा और ‘श्याम स्टील के समकक्ष अन्य फर्मों की सूचीबद्धता पर विचार नहीं हुआ’ सवाल पर पीके पाण्डेय का कहना है कि ऐसा नहीं है, अन्य कंपनियां भी सूचीबद्धता की इस प्रक्रिया में शामिल हुई थी। इस संबंध में निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक, यांत्रिक नवनीत गुप्ता से जानकारी करने के लिये उनके मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क किया गया। पर, उनसे बात नहीं हो सकी। सेतु निगम में तमाम सिफारिशों व व्यवस्था को दरकिनार कर विवादित श्याम स्टील को वर्ष 2020 तक स्टील आपूर्ति के लिये सूचीबद्ध किया जाना, कई गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है।

पूर्व में यह व्यवस्था बनी थी कि इस्पात मंत्रालय भारत सरकार में सूचीबद्ध फर्मों व कंपनियों को स्टील आपूर्ति के लिये सूचीबद्ध किया जायेगा। पर, इस्पात मंत्रालय नए स्टील आपूर्तिकर्ताओं को अब सूचीबद्ध नहीं कर रहा है। समिति की संस्तुति पर मेसर्स श्याम स्टील को सेतु निगम में सूचीबद्ध किया गया है।
पीके पाण्डेय, पीएम

 

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