नयी दिल्ली, चालू वित्त वर्ष में रुपया डॉलर के मुकाबले औसतन 69 प्रति डॉलर पर स्थिर रहने की संभावना है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों का मजबूत रहना और विदेशी निवेश का बरकरार रहना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की शोध रपट के अनुसार चालू खाते का घाटा और राजकोषीय घाटा के मामले में भारत की स्थिति 2013 के मुकाबले मजबूत है और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के मामले में भी स्थिति अपेक्षाकृत ‘बहुत अच्छी है।’ इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के जारी रहने से भी घरेलू मुद्रा को बल मिलेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने रपट में कहा, ‘‘ निकट अवधि में रुपये में उतार-चढ़ाव को टाला नहीं जा सकता है, क्योंकि भारतीय मुद्रा बहुत हद तक उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से संबद्ध रहती है। लेकिन हमारा मानना है कि देर-सबेर रुपये को स्थिर हो जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में रुपया डॉलर के मुकाबले औसतन 69 पर रहने की उम्मीद है।