केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पशु मांस की बजाए प्रयोगशाला में तैयार होने वाले‘साफ मांस’ को बढ़ावा देने की पैरवी की है. हैदराबाद में सीएसआईआर-सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में ‘द फ्यूचर ऑफ प्रोटीन: अ समिट ऑन द न्यू फूड रेवोल्यूशन’ विषय पर एक कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा कि ऐसा भी सामने आया है कि पशु मांस सेहत के लिए अच्छा साबित नहीं होता.

मेनका ने संवाददाताओं से कहा, ‘साफ मीट का आविष्कार हो चुका है. एक मांस सीरम में मांस कोशिकाओं का कोशिकीय गुण पहले से मौजूद हैं. सवाल यह है कि इसे वाणिज्यिक रूप में कैसे लाया जाए और हम उद्योगों को कैसे शामिल करें?’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और बिजली के बाद प्रयोगशाला में तैयार मांस बड़ी खोज है. मेनका ने बताया कि एक प्राइवेट सर्वे में सामने आया है कि 66 प्रतिशत लोग प्रयोगशाला वाला मांस लेने को तैयार हैं. 53 प्रतिशत लोग पशु मांस की जगह प्रयोगशाला का मांस खरीदना चाहते हैं. उन्‍होंने इस तरह के मांस को बाजार में उपलब्‍ध कराने के लिए तकनीक बनाने पर जोर दिया.

इस कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि थोड़े दिनों में बीयर ब्रूअरीज की तरह ही मीट ब्रूअरीज भी आ जाएंगी. हालांकि प्रयोगशाला का मांस अभी महंगा है, लेकिन तकनीक को विकसित करने पर इसकी कीमत कम हो सकती है. उन्‍होंने बताया कि चिकन उत्‍पादक कंपनी वेंकीज इस तरह की तकनीक के लिए काम भी कर रही है.

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