नई दिल्ली। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के सुप्रीमो इमरान खान ने आम चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अपने पहले भाषण में भारत के साथ कारोबार करने पर जोर दिया था। इमरान खान के इस आह्वान का भारतीय उद्योग जगत ने स्वागत किया है। उद्योग चैंबर एसोचैम ने यहां तक कहा है कि पाकिस्तान के जिस आर्थिक संकट में फंसने की बात की है उससे उबारने के लिए उन्हें चीन और ईरान के साथ नहीं बल्कि भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

एसोचैम ने कहा है कि सिर्फ भारत ही पाकिस्तान को मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने में मदद कर सकता है। एसोचैम के मुताबिक, इमरान खान कुछ ही दिनों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद संभाल लेंगे, तब वह महसूस करेंगे कि वहां की आर्थिक चुनौतियां कितनी बड़ी हैं। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 10 अरब डॉलर का है जिससे साफ है कि उनके पास विकल्प बेहद कम होंगे।

उन्होंने अपने भाषण में जिन समस्याओं का जिक्र किया है उनका समाधान खोजना आसान काम नहीं होगा। इन समस्याओं का समाधान लंबी अवधि की योजनाओं के जरिये ही किया जा सकता है। एसोचैम ने पूर्व क्रिकेटर को क्रिकेट की भाषा में समझाते हुए कहा कि दूसरी पारी में बॉलिंग तभी कारगर होती है जब आपने बहुत ज्यादा स्कोर किया हो। एसोचैम के मुताबिक, इमरान खान के समक्ष हर तरह की आर्थिक चुनौतियां खड़ी हैं।

आईएमएफ के कठिन उपाय

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मदद की दरकार हो सकती है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इमरान आईएमएफ के सुझाए कठिन कदमों का पालन कर सकेंगे। जिस तरह युवा वर्ग ने इमरान को वोट दिया है उसे देखते हुए ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं होगा।

पांच उत्पादों का आयात जरूरी 

इसके बाद उद्योग चैंबर ने पाकिस्तान की समस्या के समाधान का फॉर्मूला निकालते हुए कहा है कि उसे आने वाले दिनों में पांच अहम उत्पादों के आयात की जरूरत होगी। इसमें रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, कंप्यूटर्स, इलेक्ट्रिॉनिक मशीनरी, लौह व इस्पात व आटोमोबाइल खास होंगे।

भारतीय मदद से बचेगी विदेशी मुद्रा

इमरान खान सरकार भारत सरकार के साथ इन उत्पादों के आयात की सहूलियत को लेकर समझौता कर सकती है। दोनों देशों की सरकारों के बीच “उत्पादों के बदले उत्पाद” आधार पर कारोबार का समझौता हो सकता है जिससे पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा खर्च नहीं करनी पड़ेगी। सबसे बड़ी बात है कि भारत इन सभी उत्पादों की आसानी से आपूर्ति करने की स्थिति में है।

खस्ता है आर्थिक हालत

-दिसंबर, 2017 के बाद से वहां का केंद्रीय बैंक रुपये की कीमत दो बार गिरा चुका है।

-एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया अभी 130 रुपये के स्तर पर है।

-आयात महंगा होता जा रहा है, महंगाई बढ़ती जा रही है।

– सितंबर-2017 तक देश पर 85 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था और इसमें 12.3 फीसद की दर से वृद्धि हो रही है।

– उसका व्यापार घाटा भी 15 अरब डॉलर तक पहुंच गया था और इसमें भी अब और बढ़ोतरी हो चुकी होगी।

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