नयी दिल्ली, अमेरिकी डॉलर में अगले महीने के मध्य तक मजबूती जारी रहने की उम्मीद है और उभरते बाजारों से शेयरों और ऋण पत्रों में निकासी तेज रहने की प्रबल संभावना है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही।

फर्म ने रुपये को लेकर अपना रुख ‘तटस्थ’ रखा है और वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में डॉलर के मुकाबले रुपये के 70.3 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर रहने का अनुमान जताया है।

डॉलर के मुकाबले रुपया अन्य मुद्राओं की तुलना में इस वर्ष सबसे खराब प्रदर्शन कर रहा है। वैश्विक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति की चिंताओं समेत अन्य कारकों के चलते रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 69 रुपये प्रति डॉलर के स्तर के नीचे चला गया।

फर्म ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने की गुंजाइश है और इससे “रुपये में तेजी आने और बढ़ती मुद्रास्फीति को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक की चिंता कम होने के आसार है।”

इसके अलावा मध्यम अवधि में रिजर्व बैंक द्वारा दरों में वृद्धि करने से मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा और इससे रुपये के मूल्यांकन को समर्थन मिलेगा।

मॉर्गन स्टेनली ने शोध नोट में कहा, “निकट अवधि में हमें अगस्त मध्य तक डॉलर में मजबूती बने रहने और उभरते बाजारों से शेयरों और ऋण पत्रों में निकासी तेज रहने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा रुपये को लेकर हमारा रुख तटस्थ बना हुआ है।

साथ ही फर्म ने अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति बैठक में नीतिगत दरों में वृद्धि का अनुमान जताया है। रिजर्व बैंक ने जून में खुदरा मुद्रास्फीति के अपने पहले के अनुमान को 0.30 प्रतिशत बढ़ा दिया था।

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