सिंगापुर, सिंगापुर में हुए अब तक के सबसे बड़े साइबर हमले के बारे में सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे सरकार से जुड़े तत्वों का हाथ है। उनका कहना है कि जितने बड़े पैमाने और जितनी सफाई से हैक किया गया उससे यह कहा जा सकता है कि इसमें सरकार से जुड़े तत्वों का हाथ है।

सिंगापुर सरकार ने कल घोषणा की कि हैकरों ने सरकारी डेटाबेस में सेंधमारी की और प्रधानमंत्री ली सियन लूंग समेत 15 लाख सिंगापुर निवासियों का स्वास्थ्य से जुड़ा रिकॉर्ड चुरा लिया। इस अप्रत्याशित हमले में प्रधानमंत्री को विशेष तौर पर निशाना बनाया गया।

सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह ‘‘ सोचा – समझा , लक्षित और सुनियोजित साइबर हमला था और यह कैजुअल हैकर या आपराधिक गिरोह का काम नहीं लगता है। ’’

अधिकारियों ने ‘ ऑपरेशनल सुरक्षा ’ का हवाला देते हुए हैकरों की पहचान पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया , लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि हमले की जटिलता और जिस तरीके से प्रधानमंत्री जैसे हाई प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाया गया वो सरकार से जुड़े तत्वों की ओर इशारा करते हैं।

साइबर सुरक्षा फर्म ‘ फायर आई ’ के एशिया पैसिफिक अध्यक्ष एरिक होह ने कहा कि कोई साइबर जासूस संवेदनशील स्वास्थ्य सूचना के खुलासे का किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को उसकी तरफ से जासूसी करने के लिये बाध्य करने में लाभ उठा सकता है।

होह ने सरकारी चैनल ‘ न्यूज एशिया ’ से कहा कि हमले की प्रकृति जिस तरह की है उससे लगता है कि किसी देश ने अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर हमला किया।

साइबर सुरक्षा कंसल्टेंसी ‘ लैंटियम ’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेफ मिड्लटन ने कहा , ‘‘ वे काफी संसाधन वाले , वित्तपोषित और बेहद अत्याधुनिक मालूम पड़ते हैं। ’’ उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े साइबर हमले का खासतौर पर निशाना रहे हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोगों को ब्लैकमेल करने में किया जा सकता है। उन्होंने कहा , ‘‘ किसी भी गैर सार्वजनिक स्वास्थ्य सूचना का इस्तेमाल जबरन वसूली के लिये किया जा सकता है। रूसी जासूसी सेवाओं का ऐसा करने का लंबा इतिहास रहा है। ’’

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