भ्रष्टाचार के आरोप में कोऑपरेटिव बैंक के एमडी रविकांत सिंह निलंबित

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लखनऊ : भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सही पाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक (यूपीसीबी) के प्रबंध निदेशक (एमडी) रविकांत सिंह को निलंबित कर अनुशासनिक जांच का निर्णय किया गया है। यूपीसीबी में अवैध तरीके से की गई 50 सहायक प्रबंधकों की नियुक्तियां भी निरस्त होंगी। मुख्यमंत्री ने कृषि उत्पादन आयुक्त की जांच रिपोर्ट की संस्तुतियों पर मुहर लगा दी। इस फैसले से संदेश गया है कि सरकार भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त करने वाली नहीं है।

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने पिछले दिनों मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को जांच रिपोर्ट भेजकर रविकांत सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनिक जांच कराने की सिफारिश की थी। 50 सहायक प्रबंधकों की नियुक्ति में गड़बड़ी पाए जाने पर विधिक राय लेकर सभी की नियुक्तियां निरस्त करने की भी संस्तुति की थी। बुधवार को मुख्यमंत्री ने एपीसी की संस्तुतियों पर स्वीकृति दे दी।

देर शाम निलंबित हुए रविकांत सिंह

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सही पाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक (यूपीसीबी) के एमडी रविकांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गुरुवार को संबंधित आदेश जारी करने के लिए देर शाम पत्रवली सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव एमवीएस रामीरेड्डी को भेज दी गई है।

एपीसी ने एमडी पर सीतापुर रोड योजना, सेक्टर-सी निवासी जय सिंह द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच पीसीएफ के एमडी प्रमोद कुमार उपाध्याय को सौंपी थी। शिकायती पत्र के आधार पर रविकांत से पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया था। तीन अगस्त को उन्होंने अपना पक्ष रखा। सशपथ शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वर्ष 2015 में 50 सहायक प्रबंधक के पदों पर निुयक्ति में शैक्षिक योग्यता में परिवर्तन कराया गया और न्यायालय के स्थगनादेश के बाद भी नियुक्ति पत्र दे ज्वाइनिंग कराई गई।

दूसरा आरोप यह कि दो निजी चीनी मिल केसर इंटरप्राइजेज बरेली एवं सिंभावली मिल को गलत तरीके से ऋण दिये और एनपीए को दीर्घकालीन ऋण में बदला गया। बैलेंस शीट में गड़बड़ी करके केसर चीनी मिल की हानि को छिपाकर बैलेंस शीट में लाभ दिखा दिए। यूपीसीबी के वर्षो के किरायेदार आइडीबीआइ एवं एक्सिस बैंक से भवन खाली कराने के भी आरोप हैं।

चयन समिति के अध्यक्ष-सदस्य के सगे व पुत्र-पुत्रियों का चयन

भाजपा सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है कि जिस अधिकारी की सरपरस्ती में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई वह अभी तक अपने पद पर जमा है। यहां तक कि चयन समिति के अध्यक्ष और सदस्यों के पुत्र-पुत्रियों का भी चयन किया गया। गौर करें तो उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के सदस्य संतोष श्रीवास्तव की पुत्री सुदीप्ता श्रीवास्तव, उप्र राज्य भंडारण निगम के एमडी कृपा शंकर के पुत्र प्रियतोष कुमार, उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के अध्यक्ष के निजी सचिव आलोक कुमार की पुत्री दिशा सक्सेना, सचिवालय में समीक्षा अधिकारी रहे राजकिशोर यादव के पुत्र प्रदीप यादव, उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के अध्यक्ष राम जतन यादव का भतीजा लालमणि यादव को भी इसमें चयनित कर लिया गया। इस संयुक्त षड्यंत्र में जांच अधिकारी ने आरके सिंह को जिम्मेदार ठहराया है।

रसूख के आगे ठंडे बस्ते में जाती थीं संस्तुतियां

आयुक्त व निबंधक सहकारिता रहे एनके सिंह से लेकर नाबार्ड अधिकारियों ने यूपीसीबी के एमडी रविकांत सिंह के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की जबकि जांच के लिए गठित एसआइटी ने उनके समेत कई को हटाने की संस्तुति की। प्रदेश सरकार के सुरेश खन्ना और सूर्य प्रताप शाही ने भी उन्हें हटाने के लिए पत्र लिखा लेकिन, रविकांत के रसूख के आगे सभी संस्तुतियां ठंडे बस्ते में चली गई।

चयनित 50 में 11 अभ्यर्थी थे वाणिज्य स्नातक

जांच अधिकारी ने चयनित सभी 50 सहायक प्रबंधकों की सूची का विश्लेषण करने पर पाया कि सिर्फ 11 अभ्यर्थी ही वाणिज्य स्नातक थे और बाकी ऐसे विषयों से स्नातक थे, जिनका बैंकिंग से कोई संबंध नहीं था। यह महज संयोग नहीं बल्कि प्रायोजित फैसला था। जांच एजेंसी ने एमडी की प्रायोजित एवं दूषित मंशा पर भी टिप्पणी की। यहां तक कि नियुक्ति से पहले जो औपचारिकताएं पूरी करनी थी वह ज्वाइनिंग करने के बाद हुई। विस्तृत परीक्षण का विषय तो यह है कि एक ही दिन में सभी औपचारिकता पूरी कर ली गई।

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