सामान और सवारियों दोनों की अवैध ढुलाई कर रहीं निजी अंतरराज्यीय बसें

नई दिल्ली। जैसलमेर की दर्दनाक बस दुर्घटना, जिसमें 20 लोगों की जान गई, ने देशभर में निजी बसों की सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। प्रारंभिक जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि बस में प्रतिबंधित पटाखे रखे हुए थे, जिनसे आग विकराल रूप ले गई।
दिल्ली से रोजाना चलने वाली 5,000 से अधिक अंतरराज्यीय निजी बसों में भी यात्रियों के साथ-साथ अवैध तरीके से माल, ज्वलनशील पदार्थ और नशीले उत्पाद ढोए जा रहे हैं। कई बसें पर्यटक परमिट पर चल रही हैं, जबकि वास्तविकता में वे सामान और सवारियों दोनों की अवैध ढुलाई कर रही हैं।
पुरानी दिल्ली के कश्मीरी गेट, मोरी गेट, कमला मार्केट और सदर बाजार जैसे क्षेत्रों में प्रतिदिन खुलेआम बसों में माल लादने-उतारने का सिलसिला जारी है। बसें भार क्षमता से अधिक लदी होती हैं, आपात द्वार बंद या सीटों से ढके होते हैं, जिससे किसी हादसे की स्थिति में बच निकलना लगभग असंभव हो जाता है।
फिटनेस प्रमाणपत्र, परमिट और सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। परिवहन और यातायात विभाग की कथित मिलीभगत से इन बसों का संचालन बिना किसी रोक-टोक के हो रहा है।
ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र कपूर के अनुसार, “बसों में माल ढुलाई प्रतिबंधित है, परंतु विभागों की मिलीभगत से यह कारोबार पूरे देश में चल रहा है।” वहीं ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष हरीश सब्बरवाल का कहना है कि “यह भ्रष्टाचार मुक्त सख्त निगरानी व्यवस्था और व्यवहारिक कानून के अभाव का परिणाम है।”
यह मामला केवल एक हादसे की कहानी नहीं, बल्कि सिस्टम की चुप्पी और प्रशासनिक उदासीनता का आईना है — जहाँ यात्रियों की सुरक्षा, अवैध कमाई के आगे कहीं पीछे छूट गई है।