मुंबई में वर्ष 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल और भगोड़े दाउद इब्राहिम के करीबी सहयोगी मुस्तफा दोसा की आज यहां जेजे अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। दोसा की मौत से एक दिन पहले सीबीआई ने कल दोषी के लिए मौत की सजा का अनुरोध किया था।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुंबई के जे जे अस्पताल में दोसा (60) की मौत हुई जहां उसे आज तड़के सीने में दर्द की शिकायत पर लाया गया था। उसे इसी महीने एक विशेष टाडा अदालत ने यहां श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामले में दोषी ठहराया था। धमाकों के दोषियों के लिए सजा की अवधि पर बहस के दौरान सीबीआई ने दोसा के लिए मौत की सजा मांगी थी और कहा था कि फांसी पर चढ़ाए गए दोषी याकूब मेमन के मुकाबले धमाकों में उसकी भूमिका और ज्यादा गंभीर थी।
उसने इन विस्फोटों के लिए भारत में अग्नेयास्त्र, विस्फोटक, डेटोनेटर, हथगोलों और आरडीएक्स जैसे उच्च विस्फोटक सामग्रियों की तस्करी की थी। मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए इन विस्फोटों में 257 लोगों की मौत हुई थी जबकि 700 से अधिक घायल हुए थे।
अस्पताल के डीन टीपी लहाने ने बताया कि दोसा को आज तड़के तीन बजे अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया गया था। दिल का दौरा पड़ने से दोपहर ढाई बजे दोसा की मौत हो गई।
लहाने ने बताया कि दोसा को सीने में दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और संक्रमण की शिकायत के बाद भर्ती करवाया गया था। विशेष टाडा अदालत ने सजा पर फैसले पर दलीलों को शुक्रवार तक स्थगित कर दिया।
जब अदालत अपराहन तीन बजे सुनवाई के लिए बैठी तो विशेष लोक अभियोजक दीपक साल्वी ने अदालत से कहा कि दोसा की मौत हो गई।
विशेष टाडा अदालत न्यायाधीश जी ए सनप ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और हैरान करने वाला है।
साल्वी ने कहा कि वह आज मामले में दलीलें देने की स्थिति में नहीं हैं और उन्होंने शुक्रवार तक स्थगनादेश का अनुरोध किया।
साल्वी ने कहा, कल ईद के मौके पर उसने मेरे सहित सभी को शुभकामनाएं दी थीं। अदालत ने दोसा के भाई हारून द्वारा उसके अंतिम संस्कार के लिए शव सौंपने के अनुरोध वाली याचिका को स्वीकार किया।
सीबीआई ने कहा कि साजिश के पीछे जिन लोगों का दिमाग था उनमें से एक दोसा था। अपराध के पीछे उसका सबसे बड़ा हाथ था।
एक विशेष टाडा अदालत ने 16 जून को दोसा और प्रत्यपर्ति करके लाए गए गैंगस्टर अबू सलेम समेत पांच आरोपियों को दोषी ठहराया था। इन्हें हत्या, साजिश और अब खत्म कर दिए गए टाडा कानून की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। जबकि छठे आरोपी रियाज सिद्दकी को केवल टाडा के तहत दोषी बताया गया था।
विशेष न्यायाधीश जी ए सनप ने उस समय कहा था कि दोसा ने दुबई में उसके बड़े भाई मोहम्मद दोसा के घर पर हुई बैठक में सक््िरय रूप से, जानबूझकर, इरादतन भाग लिया। इस बैठक में बाबरी मस्जिद ढहाने के लिए सरकार और हिन्दुओं से बदला लेने के लिए जघन्य आपराधिक साजिश का मूल ढांचा तैयार हुआ था। न्यायाधीश ने कहा था, साजिश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसने पहला कदम उठाया और हथियार एवं गोलियां दुबई और पाकिस्तान से नौ जनवरी 1993 को (रायगढ जिले के) दिघी में भेजी थीं।

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