ब्रसल्स: यूरोपीय संघ ने अमेरिका की प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल पर 2.4 अरब यूरो का रिकॉर्ड जुर्माना लगाया है. गूगल के लिए यह एक और झटका है. कंपनी पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी झेल रही है. कंपनी पर ‘भरोसे के हनन’ के लिए यह जुर्माना लगाया गया है.

अपने सर्च इंजन में तकनीकी हेराफेरी करने के आरोप में यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने गूगल कंपनी पर 2.7 अरब डॉलर (करीब 17,400 करोड़ रुपये) का रिकॉर्ड जुर्माना लगाया है। ईयू के एंटी ट्रस्ट नियामक ने यह जुर्माना कंपनी पर भरोसा तोड़ने के लिए लगाया है। अल्फाबेट कंपनी की इकाई गूगल को सर्च परिणामों में हेराफेरी करने का दोषी पाया गया है।

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी के खिलाफ लंबित दो अन्य मामलों में कड़ा रुख अपनाया जा सकता है। ईयू के मुताबिक सर्च इंजन गूगल के पास अपनी शॉपिंग सेवा को प्राथमिकता देना बंद करने के लिए 90 दिनों का वक्त है। अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो अल्फाबेट की प्रतिदिन के वैश्विक टर्नओवर का 5 फीसदी जुर्माना अलग से लगाया जाएगा। आयोग ने पाया कि गूगल ने अपने सिस्टम में ऐसा तकनीकी हेरफेर किया है, जिससे सर्च परिणाम में उसकी शॉपिंग सेवा ही प्रमुखता से दिखती है। दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वी साइटों को हतोत्साहित किया जा रहा है।

यूरोपीय प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने कहा, ‘गूगल ने जो किया वह अवैध है। उसने अन्य कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर प्रतिस्पर्धा के अधिकार से वंचित किया। सबसे अहम यह भी है कि गूगल ने यूरोप के उपभोक्ताओं को असली पसंद मुहैया नहीं कराई।’ गूगल ईयू कोर्ट में आगे अपील कर सकता है, लेकिन इसमें लंबा समय लगेगा। पिछली बार इंटेल कंपनी की अपील पर फैसला आने में सात साल लग गए थे।

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