आतंकवादियों को पालकर दुनियाभर में एक्सपोर्ट करने वाले पाकिस्तान को फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर ग्रे लिस्ट में रखा है। आतंकी फंडिंग रोकने के लिए FATF की ओर से दिए गए होम वर्क को पूरा नहीं करने की वजह से पाकिस्तान को इस सूची में बरकरार रखा गया है। ऐसा नहीं है कि इससे सिर्फ पाकिस्तान की बेइज्जती होती है, लेकिन पहले से कंगाल हो चुके मुल्क पर इसे बड़ा आर्थिक बोझ भी पड़ता है। एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि पाकिस्तान को 38 अरब डॉलर (करीब 2806 अरब रुपए) का नुकसान हो चुका है।
दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली पेरिस आधारित संस्था ने गुरुवार को एक बार फिर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने की घोषणा की है। FATF ने कहा है कि टेरर फाइनैंशिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान की कोशिश में गंभीर कमियां हैं और सिस्टम प्रभावी नहीं है।
इस्लामाबाद आधारित थिंक टैंक तबादलाब ने कहा है कि 2008 से 2019 तक बार-बार पाकिस्तान को FATF की लिस्ट में रखे जाने से जीडीपी को करीब 38 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। रिसर्च पेपर में कहा गया है, ”जीडीपी को हुए इस नुकसान में बड़ा हिस्सा घेरलू और सरकारी उपभोग खर्च में कमी की वजह से हुआ है।” थिंकटैंक ने यहा कि ग्रे लिस्ट में होने की वजह से एक्सपोर्ट और एफडीआई में कमी आई है।
रिसर्च पेपर में बताया गया है कि 2012 से 2015 के बीच FATF के प्रतिबंध से पाकिस्तान को करीब 13.43 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। थिंक टैंक ने कहा कि इन प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक और मध्यकालिक असर पड़ता है। रिसर्च पेपर में बताया गया है कि किस तरह जब पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर रहा तो 2017-18 में जीडीपी में तेजी आई थी।
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