इसी महीने की शुरुआत में म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार को बंदी बनाकर तख्तापलट के जरिए सत्ता अपने हाथ में ले चुकी सेना ने अब अपने सख्त तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। म्यांमार की सेना ने तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को यह चेतावनी दी है कि अगर वे सेना के रास्ते में आए तो उन्हें 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

बता दें कि तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार की नेता आंग सांग सू की कि रिहाई की मांग के साथ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। सेना ने प्रदर्शन को कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया साइट्स तक पर बैन लगा दिया है और कई इलाकों में इंटरनेट भी बंद है। हालांकि, इसके बावजूद हजारों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

बीबीसी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, कानून में बदलाव करते हुए सेना ने यह बताया है कि अगर सैन्य नेताओं के खिलाफ किसी ने नफरत फैलाई या फिर उनकी अवमानना की तो लंबी अवधि की सजा के साथ ही भारी-भरकम जुर्माना भी चुकाना पड़ेगा। प्रदर्शनकारी सू की के साथ ही अन्य नेताओं की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों को क्या सजा मिलेगी?
खबर के मुताबिक, सत्ताधारी सेना के बनाए नए नियमों के मुताबिक, अगर कोई शख्स लिखित या बोले गए शब्दों से, या संकेतों से सेना के खिलाफ नफरत फैलाता है तो उसे लंबे समय के लिए जेल जाना पड़ सकता है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। म्यांमार की सेना की वेबसाइट पर पोस्ट किए एक बयान के मुताबिक, अगर किसी ने सेना को उनकी ड्यूटी करने से रोका तो ऐसे में उसे 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। वहीं, अगर कोई जनता के बीच डर या तनाव पैदा करने की कोशिश करते पाया गया तो उसे तीन से सात साल तक की कैद हो सकती है।

इतना ही नहीं, म्यांमार की सेना ने बीते शनिवार खुदको यह ताकत दी कि वह कभी भी किसी को गिरफ्तार कर सकती है, किसी की भी तलाशी ले सकती है और बिना कोर्ट के आदेश के ही किसी को भी 24 घंटे तक हिरासत में रख सकती है।

पत्रकारों को भी यह कह दिया गया है कि सेना के सत्ता संभालने को तख्तापलट न कहा जाए।

UN मानवाधिकार आयोग ने दी चेतावनी
म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के विशेष प्रतिनिधि टॉम एंड्रयूज ने सेना को चेतावनी दी है कि उसे उसके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा। एंड्रयूज ने कहा, ‘ऐसा लगता है जैसे जनरलों ने म्यांमार की जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। देर रात को छापा मारना, काफी संख्या में लोगों की गिरफ्तारियां, इंटरनेट को बंद करना, समुदायों के बीच सेना के काफिले का प्रवेश करना, ये सारे कदम जनता के खिलाफ युद्ध जैसे हैं। ये हताशा के प्रतीक हैं। सावधान जनरलों, आपको इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।’

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