सूर्यदेव के मकर राशि में जाने से उत्तरायण प्रारंभ होता है और कर्क राशि में जाने पर दक्षिणायन प्रारंभ होता है। इस बीच तुला संक्रांति आती है। सूर्यदेव का तुला राशि में प्रवेश तुला संक्रांति कहलाता है। इसी के साथ कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है। तुला संक्रांति पर स्नान और दान का विशेष महत्व है। तुला संक्रांति को गर्भना संक्रांति और कावेरी संक्रांति नाम से भी जाना जाता है।

जब भी सूर्यदेव राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। सूर्यदेव को आत्माकारक ग्रह कहा गया है। इनके प्रभाव से आत्मविश्वास बढ़ता है। सूर्य का अशुभ प्रभाव असफलता देता है। जिसके कारण कामकाज में रुकावटें और परेशानियां बढ़ती हैं। धन हानि और स्थान परिवर्तन भी इस कारण होता है। सूर्यदेव के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती हैं। इस दिन सभी राशि के जातकों को ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान कर ब्राह्मणों को दान अवश्य करना चाहिए। सूर्यदेव को जल में कुछ मीठा डालकर अर्पित करें। इस दिन अपने खाने में से एक हिस्सा जरूरतमंदों के लिए जरूर निकालें। पहली रोटी गाय को दें। तुला राशि में सूर्यदेव के आने से आत्मविश्वास में कमी, क्रोध और वाणी दोष हो सकता है। इस प्रभाव से बचाव के लिए सूर्यदेव को जल अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।

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