नई दिल्ली, देशभर में कोरोना वायरस लॉकडाउन 4.0 शुरू हो चुका है। पहले के मुकाबले केंद्र सरकार से इस लॉकडाउन में काफी छूट दी हैं लेकिन उनकी चाबी फिलहाल राज्य सरकारों के हाथों में है। ऐसे में इतने लंबे वक्त से घर बैठे लोगों के मन में सवाल है कि क्या उनके इलाके में बाइक, बस, टैक्सी और ऑटो चलेंगे?
सबसे पहले बात करते हैं केंद्र सरकार की गाइडलाइंस की। केंद्र ने फिलहाल कंटेनमेंट जोन को छोड़ बाकी सभी (रेड, ऑरेंज और ग्रीन) में पैसेंजर गाड़ियों की आवाजाही पर रोक हटा ली है। हालांकि, प्राइवेट वीइकलों के लिए नियम हैं। इसका सीधा मतलब है कि सभी जोनों में अब ऑटो, टैक्सी, बसें तो चल सकती हैं लेकिन प्राइवेट वीइकल के लिए नियम मानने होंगे।
इसपर केंद्र ने साफ कुछ नहीं कहा है। निर्देशों में सिर्फ पैसंजर वाहनों की बात है। यानी प्राइवेट वीइकल से आप बॉर्डर तब ही पार कर पाएंगे जब आपके पास स्पेशल पास हो। राज्य सरकारों में सहमति हो तो दो राज्यों के बीच बसों-गाड़ियों की आवाजाही हो सकेगी। अब जैसे अगर दिल्ली से यूपी और यूपी से दिल्ली आनेवालों के लिए दोनों राज्यों की सरकारों को इसपर सहमत होना होगा। दिल्ली सरकार लॉकडाउन 4.0 के नियम आज बता सकती है।
देश में लॉकडाउन 14 दिनों के लिए और बढ़ गया। लॉकडाउन का यह चौथा चरण 18 से 31 मई के बीच चलेगा। राज्य चाहें तो बसें चला सकते हैं। अन्य राज्यों की सहमति से अंतरराज्यीय बस सेवाएं शुरू की जा सकती हैं।
पैसेंजर्स सर्विस वीइकल की कैटिगरी में आने वाली ऑटो, टैक्सी, ग्रामीण सेवा, फटफट सेवा, मैक्सी कैब, ई- रिक्शा समेत आठ कैटिगरी के वाहनों के बारे में दिल्ली सरकार सोमवार को फैसला करेगी। इन वाहनों को कैसे चलाया जाए। दरअसल सरकार ने अपनी सिफारिशों में ऑटो, ई- रिक्शा, साइकल रिक्शा में केवल एक पैसेंजर की सिफारिश की थी। वहीं टैक्सी कैब में केवल दो पैसेंजर होंगे। कार पूलिंग और कार शेयरिंग अलाउ नहीं होगी। केंद्र की गाइडलाइंस के आधार पर इन सभी कैटिगरी के वाहनों के बारे में भी सरकार फैसला लेगी।
बसों को लेकर सरकार कुछ विकल्पों पर काम कर रही है। पहला विकल्प यह है कि शुरुआत में 100 फीसदी बसें चला दी जाएं ताकि बसों में 20 यात्रियों के नियम का सख्ती से पालन हो सकें और भीड़भाड़ भी ना हो। अगर बसें खाली चलती हैं तो फिर इस फैसले में संशोधन हो सकता है। क्योंकि लॉकडाउन -4 में आम लोगों की भीड़ कम ही रहेगी। दूसरा विकल्प यह है कि 50 फीसदी बसों के साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू किया जाए लेकिन इसमें एक परेशानी यह है कि बसों में मिलने में देरी हो सकती है। डीटीसी व क्लस्टर दोनों तरह की बसें सड़कों पर उतर सकती हैं। हालांकि शुरुआत में बसें लंबे रूट्स पर ज्यादा चलेंगी और हर बस स्टैंड पर बस नहीं रूकेंगी। प्लान में यह देखा जाएगा कि किन- किन रूट्स पर लोगों को बसों की ज्यादा जरूरत होगी।
केंद्र की गाइडलाइंस में कहा गया है कि दो राज्यों की सहमति से इंटरस्टेट पैसेंजर्स वीकल और बसों को भी चलाया जा सकता है। इस बारे में भी सरकार को अहम फैसला लेना है कि क्या मजदूरों के लिए इंटरस्टेट बसें चलाई जा सकती हैं। बस ऑपरेटर्स सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं कि मजदूरों के लिए प्राइवेट बसों को दूसरे राज्यों में चलाने दिया जाए। एसटीए ऑपरेटर्स एकता मंच के महासचिव श्यामलाल गोला का कहना है कि उनकी बसों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जाएगा और जो भी नियम होंगे, उनके अनुसार बसें चलेंगी। इससे मजदूरों को भी आसानी होगी और सरकार किराए को लेकर जो भी फैसला करेगी, उसको बस ऑपरेटर्स मानेंगे।
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