नई दिल्ली: सरकार ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू हो जाने के बाद खाद्यान्न, आटा, दूध, सब्जियां और फल पांच फीसदी सस्ते हो जाएंगे. सरकार ने अनाजों, दालों, आटा, मैदा और बेसन को जीएसटी के दायरे से दूर रखा है. जीएसटी एक जुलाई से लागू होने जा रहा है. दूध, सब्जियां, फल, पके चावल, नमक, जैविक खाद, पशु चारे, जलावन, कच्चे रेशम, उन, हाथ से चालित औजार भी नयी परोक्ष कर व्यवस्था में शून्य दर लगेगी।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, इन जींसों पर कोई जीएसटी कर नहीं लगने से उनमें से ज्यादातर चीजें अपने वर्तमान दामों की तुलना में करीब चार-पांच फीसदी सस्ती हो जाने की संभावना है. हालांकि ब्रांड वाले खाद्यान्नों एवं पंजीकृत ट्रेडमार्क वाले आटे पर जीएसटी के तहत पांच फीसदी टैक्स लगेगा.
रेल सेवाएं होंगी महंगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस नए टैक्स सिस्टम के तहत रेल सेवाएं महंगी हो जाएंगी. यही नहीं, उन यात्रियों से भी जीएसटी वसूला जाएगा जिन्होंने चार महीने पहले टिकट बुक किया है. इसके साथ ही ट्रेन व स्टेशनों पर खाना-पीना भी जीएसटी के कारण महंगा होगा. यह बढ़ोतरी 0.5 प्रतिशत होगी. हालांकि स्लीपर, अनारक्षित और लोकल यात्रियों को इससे बाहर रखा गया है. लेकिन एसी फर्स्ट, सेंकड और थ्री टायर के साथ एसी चेयर कार में सफर करने वाले यात्रियों को जीएसटी भरना होगा.
इसी साल एक जुलाई से गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी के लागू होने बाद रेल सेवाएं महंगी हो जाएंगी, यानी रेल यात्रा करना पहले की तुलना में महंगा हो जाएगा. जीएसटी के लागू होने बाद रोजमर्रा की 1,211 वस्तुओं पर टैक्स रेट घटाने का फैसला लिया गया है, जहां कई जरूरी चीजों की कीमतें कम हो सकती हैं, तो इसके साथ ही कुछ चीजों के दाम भी बढ़ेंगे. वैसे तो रेलवे मंत्रालय का फ्रेट विभाग जीएसटी को लेकर काफी उलझा हुआ है, और इस एकीकृत कर को 1 जुलाई से लागू करने में असमर्थता महसूस कर रहा है. लेकिन इतना तय है कि इस कर के लग जाने पर एसी क्लास में यात्रा करने वालों पर भार पड़ने वाला है. 0.5 प्रतिशत की बढ़ी दर से रेलवे को तो कोई खास लाभ नहीं होने वाला, क्योंकि अभी तक कुल किराए का 4.5 प्रतिशत कर भार रेलवे को देना पड़ता था. अब कुल पांच प्रतिशत कर भार देना होगा, लेकिन रेलवे अब रेल यात्रियों से जीएसटी की वसूली करने लगेगा.