भ्रष्ट अफसरों का एक ही नारा “खूब करेंगे अय्याशी, खूब करेंगे भ्रष्टाचार, क्या कर लेगी मोदी सरकार“

श्रवन गुप्ता, एडिटर, newshawk.in
लखनऊ। कस्टम्स एंड सीजीएसटी, विभाग भ्रष्ट आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) के अफसरों की अय्याशी का अड्डा बना हुआ है।

एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार विभूति खंड, गोमती नगर, लखनऊ में लखनऊ कस्टम्स एवं सीजीएसटी विभाग की निर्माणाधीन नई भव्य इमारत में आईआरएस अधिकारियों ने सीपीडब्ल्यूडी के बड़े अफसरों से सांठ-गांठ करके अपने नॉर्म्स से चौगुने बड़े कमरे बनवाये हैं, जितनी जगह में एक नार्मल मीडियम क्लास फैमिली का घर बन जाता है, उतनी जगह में इनके विभाग का आयुक्त बैठेगा।

निचले स्तर के कर्मचारियों को उनके नॉर्म्स से आधी जगह ही बैठने को दी जा रही है, जिन ग्रुप बी कर्मचारियों को ऑफिस में बैठने के लिए केबिन मिलना चाहिए था उनको मुर्गी के दर्बों की तरह क्यूबिकल में बिठाया जा रहा है।

ज्ञात हो कि लखनऊ शहर में कस्टम्स एवं सीजीएसटी, विभाग के कई दफ्तर हैं। जिनमे केंद्रीय भवन अलीगंज, 7-हैवलॉक रोड, 1/51, विजय खंड, गोमती नगर एवं 2/31 विशाल खंड गोमती नगर में स्थित हैं। इन सभी दफ्तरों का मुख्यालय जीएसटी भवन, 7-ए, अशोक मार्ग लखनऊ में स्थित है। यहां विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्त बैठते हैं।

कुछ समय बाद, ये सभी ऑफिस, मुख्यालय के साथ गोमती नगर में बन रही नई बिल्डिंग में शिफ्ट होने वाले हैं।

इन्ही सरकारी दफ्तरों में कार्यरत बड़े क्लास वन अधिकारी, अपने चापलूस गुर्गों की मदद से, मोदी सरकार के वीआईपी कल्चर मुक्त प्रसाशन के सपने को धता देते हुए, सरकारी संसाधनों की भारी लूट में लिप्त हैं।

इस विभाग का कई अफसरों ने 4-4 सरकारी किराये की गाडि़यों पर कब्जा कर रखा है।

इन सरकारी किराये की गाडि़यां का उपयोग घरेलू कार्यों में किया जाता है।

जानकारी के अनुसार कस्टम विभाग में केवल आयुक्त व उससे ऊपर के रैंक के अफसरों को ही आधिकारिक रूप से सरकारी गाड़ी प्रदान की जाती है। आयुक्त से नीचे ग्रेड के किसी भी अधिकारी को सरकारी गाड़ी देने का कोई भी प्रावधान नहीं है।

जानकारी के अनुसार एक गाड़ी का मासिक किराया 50 हजार से लेकर 60 हजार तक सरकारी खजाने से भुगतान किया जाता है।

सिर्फ लखनऊ जीएसटी व कस्टम विभाग के बड़े अफसरों की जमात ने ऐसी करीब 50 गाडि़यां अपने कब्जे में ले रखीं हैं और सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।

यह अफसर इन किराये की गाडि़यों से सोसायटी में खुद का स्टेटस सिंबल मैंटेन करते हैं।

इन किराये की गाडि़यों से इनके बीबी, बच्चे, दोस्त, रिश्तेदार दिन रात बाजार घूमते हैं। अपने घरेलू काम निपटाते हैं। यही गाडि़यां उनके बच्चों के स्कूल भेजने और लाने का काम करती हैं। यहां तक कि इनके घर का किराना, सब्ज़ी भी इन्ही गाडि़यों से ढोई जाती है।

लखनऊ कस्टम्स एवं सीजीएसटी विभाग के आईआरएस अफसर व विभाग के छोटे-बड़े अफसरों ने अपने घरों पर ऑफिस के कँटीजेंट (आउट सोर्सिंग स्टॉफ) लगा रखे हैं जो उनके घरों पर खाना बनाने से लेकर, झाड़ू पोंछा, कपड़े बर्तन धोने, साफ सफाई, और बागवानी जैसे सभी घरेलू काम करते हैं।

इनकी सैलरी मासिक 12 हजार से 15 हजार का भुगतान ऑफिस के सरकारी खजाने से किया जाता है।

लखनऊ कस्टम्स एवं सीजीएसटी विभाग के यही अधिकारी विभाग के सभी गेस्ट हाउसों पर भी अपना कब्जा जमा के रखते हैं।

इन गेस्ट हाउसों में या तो बाहर से ट्रांसफर होकर लखनऊ आये बड़े अधिकारी खुद महीनों डेरा जमाकर अपना एचआरए बचाते हैं या फिर इनके दोस्त रिश्तेदारों या चापलूस गुर्गों से ये गेस्ट हाउस फुल रहते हैं।

सामान्य कर्मचारियों द्वारा गेस्ट हाउस मांगे जाने पर गेस्ट हाउस को हाउस फुल बता दिया जाता है।

ज्यादा आग्रह करने पर यह धौंस भी दी जाती है कि बड़े साहब या उनके रिश्तेदार के लिए रूम पहले से ही रिजर्व हो चुका है।

मोदी राज में अधिकारी मस्त

विभाग के इन्हीं कार्यालयों में, ये उच्चाधिकारी, रोज सरकारी खर्चे पर लाखों रुपये का चाय, नाश्ता, लंच और डिनर डकार जाते हैं।

जो सरकारी ग्रांट ऑफिस के इंफ्रास्ट्रक्चर और कंप्यूटर, प्रिंटर पर खर्च की जानी थी, उस ग्रांट के गुलाब जामुन खाये जाते हैं।

विभाग को निवारक व कर अपवंचन निरोध के लिए मिलने वाला सीक्रेट सर्विस फण्ड का लाखों रुपया फर्जी तरीके से विड्रॉ करके पेज थ्री, नाईट पार्टियों का बिल भरा जाता है।

विभाग को मिलने वाला एम्प्लॉई वेलफेयर फण्ड भी सीबीआईसी, बोर्ड ऑफिस, दिल्ली से आने वाले उच्चाधिकारियों की सेवा खुशामद और अय्याशी में खर्च कर दिया जाता है।

निचले स्तर का कोई कर्मचारी अगर संसाधनों की इस लूट के खिलाफ इन उच्चाधिकारियों के विरुद्ध आवाज उठाता है तो इन अधिकारियों के द्वारा उस कर्मचारी को लगातार टारगेट किया जाता है, और गैर क़ानून तरीके से कोई भी बहाना जेनेरेट करके उसको सस्पेंड कर दिया जाता है।

विजिलेंस फ़ाइल खोल दी जाती है या फिर दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि संसाधनों की इस लूट का पर्दाफाश करने के लिए किसी सबूत या गवाह की जरूरत ही नहीं है क्योंकि ये अधिकारी खुलेआम अपने ही विभाग को लूटने खसोटने में लगे हुए हैं।

सारे सबूत, गवाह वातावरण में खुद ब खुद मौजूद हैं। कोई भी व्यक्ति/संस्था/एजेंसी किसी भी समय इन कार्यालयों में जाकर उक्त तथ्यों की सत्यता का कभी भी सत्यापन कर सकती है।

कस्टम्स एवं सीजीएसटी विभाग, लखनऊ के भ्रष्ट आईआरएस अधिकारियों द्वारा की जा रही, सरकारी संसाधनों के खुले आम लूट खसोट की, किसी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच एजेंसी द्वारा उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

About The Author

1 thought on “कस्टम्स एंड सीजीएसटी विभाग बना भ्रष्ट आईआरएस अफसरों की अय्याशी का अड्डा

  1. Good news article. It is not only a story of Lucknow but every where in the department. I have filed lot of RTI and representation On this issue.

Leave a Reply

%d bloggers like this: