नयी दिल्ली, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर रहे लोग ‘‘राष्ट्र विहीन’’ नहीं हैं और वे कानून के तहत मौजूद सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लेने तक अपने अधिकारों का पूर्व की तरह उपयोग करते रहेंगे।

मंत्रालय ने कहा कि एनआरसी से बाहर किये जाने से असम में एक भी व्यक्ति के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और उन्हें पूर्व में प्राप्त किसी भी अधिकार से वंचित नहीं किया गया है।

विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया एनआरसी की अंतिम सूची के कुछ पहलूओं के बारे में विदेशी मीडिया के एक वर्ग में आई टिप्पणियों के मद्देनजर आयी है।

उल्लेखनीय है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई थी। एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था। इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘असम में रहने वाले किसी व्यक्ति के अधिकारों पर एनआरसी से बाहर किये जाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’

मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं है, उन्हें हिरासत में नहीं लिया जायेगा और कानून के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लेने तक उन्हें पहले की तरह ही सभी अधिकार मिलते रहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सूची से बाहर किये गये व्यक्ति को ‘राष्ट्र विहीन’ नहीं बनाती है। यह कानूनी रूप से किसी व्यक्ति को ‘विदेशी’ नहीं बनाती। वे पहले से प्राप्त किसी भी अधिकार से वंचित नहीं रहेंगे।’’

प्रवक्ता ने कहा कि इस सूची में शामिल किये जाने के लिए आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के वास्ते असम सरकार मौजूदा 100 न्यायाधिकरणों के अलावा 200 और न्यायाधिकरणों की स्थापना कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘असम राज्य दिसम्बर 2019 तक 200 और न्यायाधिकरणों को स्थापित करेगा। अपीलकर्ताओं की सुविधा के लिए इन न्यायाधिकरणों को ब्लॉक स्तर पर स्थापित किया जाएगा।’’

कुमार ने कहा कि सूची से बाहर किये गये किसी भी व्यक्ति को बाहर किये जाने की अधिसूचना मिलने के 120 दिन के भीतर न्यायाधिकरण में अपील दायर करने का अधिकार होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी अपीलों की जांच इस न्यायाधिकरण यानी न्यायिक प्रक्रिया द्वारा की जाएगी। अपीलीय अवधि समाप्त होने के बाद ही यह न्यायिक प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद भी सूची से बाहर किये जाने वाले किसी भी व्यक्ति के पास उच्च न्यायालय और इसके बाद उच्चतम न्यायालय का रूख करने का अधिकार होगा।’’

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ऐसी अपीलों से निपटने के बारे में निर्देश देने में मदद करेगी।

कुमार ने कहा कि एनआरसी का अद्यतन एक ‘‘वैधानिक, पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया है।’’ उन्होंने कहा कि एनआरसी वैज्ञानिक विधियों पर आधारित एक निष्पक्ष प्रक्रिया है।

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