वॉशिंगटन, सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण जीवन के लिए खतरनाक है, लेकिन हाल के एक अध्ययन में पता चला है कि वायु प्रदूषण का जीवन पर पड़ने वाला असर एचआईवी/एड्स होने अथवा सिगरेट से होने वाले नुकसान से भी घातक है। अगर भारत इस संबंध में वैश्विक दिशानिर्देशों के अनुरूप हो जाए तो वहां लोग औसतन 4.3 वर्ष ज्यादा जी सकेंगे।

शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नया वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) तैयार किया है जिससे पता चलता है कि हवा में मौजूद प्रदूषक प्रति व्यक्ति औसत जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष तक कम कर देते हैं।

एक्यूएलआई के अनुसार यह प्रदूषण विश्व भर में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए इकलौता सबसे बड़ा खतरा है। जीवन प्रत्याशा पर इसका प्रभाव एचआईवी/ एड्स और टीबी जैसी संक्रामक बीमारी के अलावा सिगरेट पीने और युद्ध के खतरों से भी अधिक खतरनाक है।

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन कहते हैं, ‘‘आज विश्व भर में लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य पर बेहद खतरनाक असर डाल सकती है और जिस प्रकार से इन खतरों को दिखाया जाता है वह अपारदर्शी और भ्रमित करने वाला है। वायु प्रदूषण सघनांक प्रदूषण के स्तर को लाल, भूरा, और हरे रंग में दर्शता है। ’’

वैश्विक जनसंख्या के करीब 75 प्रतिशत लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां यह प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के निशानिर्देश को पार कर गया है।

इसके अनुसार भारत इस संबंध में वैश्विक दिशानिर्देशों के अनुरूप हो जाए तो वहां लोग औसतन 4.3 वर्ष ज्यादा जी सकते हैं।

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