लखनऊ। जनगणना आवासीय परिसर में पौधरोपण कार्य में भारी अनियमितता की आशंका है। जानकारी के अनुसार इन पौधों को वन विभाग से न खरीद कर बिचौलियों के माध्यम से महंगी दर पर खरीदा गया है।
यह गोरखधंधा वर्षो से जारी है। सरकारी पौधशालाओं को दरकिनार कर खुले बाजार से हर वर्ष लाखों पौधे खरीदे जाते हैं।
चालू वित्तीय वर्ष में 50 हजार रूपये के पौधे जनगणना आवासीय परिसर में पड़े हैं।
कमजोर या बेजान पौधों को खरीदा जाता है। जो चंद दिनों में बाद ही पौधों के सूखने या नष्ट होने की बात बताई जाती है। खरीद-फरोख्त की सारी प्रक्रिया में बिचौलियों की भूमिका अहम होती है।
सूत्रों के मुताबिक पौधशालाओं में उपलब्ध पौधों की जगह दूसरी प्रजाति के पौधों की मांग की जाती है। ऐसी प्रजाति के उपलब्ध नहीं रहने पर उसे बाजार से खरीदा जाता है।
पौध खरीद में हर वर्ष लाखों की हेराफेरी होती है। वित्तीय अनियमितता का आलम यह है कि जो पौधे पर्यावरण एवं वन विभाग मात्र पांच से दस रुपए पीस पर उपलब्ध कराता है उसे भी भारी भरकम दर पर खरीदा जाता है।