नई दिल्ली, भारत देश में एक चर्चा अक्सर सुनने को मिलती है कि आजकल की जीवन शैली और खानपान के कारण बच्चों की बौद्धिक क्षमता घट रही है। अब एक शोघ में बच्चों की बौद्धिक क्षमता कम होने का खुलासा हुआ है।
रक्त में लेड (सीसा) की मात्रा बढ़ने से भारतीय बच्चों की बौद्धिक क्षमता घट रही है। इसके साथ ही वह कई तरह की बीमारियों के खतरे से भी जूझ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मैकक्वेरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के बाद यह जानकारी दी। शोध के दौरान 2010 से 2018 के बीच हुए अध्ययनों में से भारतीयों के खून में लेड की औसत मात्रा निकालकर उनका विश्लेषण किया गया था।
ये रहा सबसे बड़ा कारण
बता दें कि भारत में बड़ी संख्या में लोग मोटरबाइक या कार से चलते हैं। इन वाहनों में लगने वाली बैट्री दो साल से ज्यादा नहीं चल पाती है। इसी कारण हर साल बड़ी संख्या में इनका पुन: चक्रण (रिसाइकिल) किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रदूषण नियंत्रण की उचित व्यवस्था ना होने से लेड हवा में मिल जाता है। सांस के द्वारा रक्त में पहुंचकर लेड उसे दूषित कर देता है। आयुर्वेदिक दवाओं, आई लाइनर, नूडल्स से भी बच्चों के ब्लड में लेड की मात्रा बढ़ती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रत्येक डेसी लीटर रक्त में एक माइक्रोग्राम लेड से करीब आधा प्वाइंट आइक्यू (इंटेलीजेंट कोशेंट) लेवल घटता है। भारतीय बच्चों के प्रत्येक डेसी लीटर रक्त में करीब सात माइक्रोग्राम लेड पाया गया है, जो बहुत खतरनाक है। लेड के कारण होने वाली बीमारियों से 165, 000 लोगों की मौत हो चुकी है।