नई दिल्ली, आठ अक्टूबर की तारीख इतिहास में धनपत राय श्रीवास्तव की पुण्यतिथि के तौर पर दर्ज है। कुछ लोगों को यह नाम कुछ अनजाना सा लग सकता है, लेकिन अगर कहें कि आठ अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद का निधन हुआ तो कलम के जादूगर को हर कोई पल में पहचान जाएगा।

हिन्दी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिन्दी के विकास की यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है।

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