नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जो देशभर में जेल सुधारों के सभी पहलुओं को देखेगी और उनके लिए उपायों का सुझाव देगी।

न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों समेत समिति और भी कई मुद्दों को देखेगी। समिति महिला कैदियों से जुड़े मुद्दों को भी देखेगी।

पीठ भारतभर में 1,382 जेलों में अमानवीय हालातों से जुड़े मु्द्दे की सुनवाई कर रही थी। उच्चतम न्यायालय ने 27 अगस्त को समिति के गठन पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी पीठ का हिस्सा हैं।

इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी और न्यायमित्र के रूप में अदालत को सहयोग कर रहे वकील गौरव अग्रवाल ने समिति के कार्यक्षेत्र का मसौदा तैयार किया था जिस पर पीठ ने गौर किया।

इससे पहले, पांच अगस्त को शीर्ष अदालत ने इस बात पर नाखुशी जाहिर की थी कि अब तक कई राज्यों ने बोर्ड ऑफ विजिटर भी नियुक्त नहीं किए हैं जो नियमित तौर पर जेलों का दौरा करें और यह सुनिश्चित करें कि इनका परिचालन नियमानुसार हो।

अदालत ने देशभर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि कैदियों के भी मानवाधिकार होते हैं और उन्हें ‘‘ जानवरों ’’ की तरह नहीं रखा जा सकता। शीर्ष अदालत ने जेलों में अप्राकृतिक मौत और जेल सुधारों पर पहले भी कई दिशा-निर्देश जारी किए थे।

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