नयी दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यंग इंडियन कंपनी में उनके निदेशक होने का खुलासा नहीं करने के लिये आयकर विभाग द्वारा 2011-12 के लिये उनकी आय का आकलन दोबारा शुरू किये जाने की कार्यवाही को आज दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

यह कंपनी नेशनल हेराल्ड की संपत्ति हथियाने के मामले में आरोपी है। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा इस मामले में कोई अंतरिम आदेश देने के गांधी के वकीलों के अनुरोध का विरोध करने पर न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति ए के चावला की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 अगस्त को निर्धारित की।

हालांकि, मेहता ने पीठ को आश्वस्त किया कि अगली सुनवाई की तारीख तक आयकर विभाग गांधी के खिलाफ कोई भी दबाव डालने वाली कार्रवाई नहीं करेगा। अितिरिक्त सालिसीटर जनरल ने यह आश्वासन उस समय दिया जब पीठ ने उनसे पूछा कि किस तरह का दबाव डालने वाला कदम आयकर विभाग उठाएगा।

अदालत ने उनसे यह सवाल उस समय किया जब गांधी के वकीलों ने पीठ से यह आदेश देने का अनुरोध किया कि मामले में सुनवाई की अगली तारीख तक कोई भी दबाव डालने वाला कदम नहीं उठाया जाए। गांधी के वकील अदालत से अंतरिम आदेश चाहते थे क्योंकि कर आकलन से संबंधित मामला आयकर अपीली न्यायाधिकरण में कल सूचीबद्ध है।

गांधी के वकीलों ने मीडिया के अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने या उसे प्रकाशित करने पर रोक लगाने का आदेश देने का भी अनुरोध किया। हालांकि, पीठ ने इस मौखिक अनुरोध को खारिज कर दिया।

आयकर विभाग के अनुसार गांधी का साल 2011-12 के लिये आकलन फिर से किये जाने का फैसला किया गया, क्योंकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया था कि वह 2010 से यंग इंडियन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक थे।

आयकर विभाग के अनुसार यंग इंडियन में गांधी के पास जो शेयर हैं उससे उनकी आमदनी 154 करोड़ रुपये होगी, न कि तकरीबन 68 लाख रुपये, जैसा कि पहले आकलन किया गया था।

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