नयी दिल्ली,  देश में आनलाइन खुदरा कारोबार (ईकामर्स) का राजस्व 2017 में 25 अरब डालर था, जिसके 20.2 प्रतिशत सालाना की वृद्धि के साथ 2022 तक 52 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।
डिजिटल व विपणन कंपनी एडमिटेड की एक रपट के अनुसार 2017 में जनसंख्या में 37% लोग इंटरनेट उपयोक्ता थे जिनमें से 14% नियमित रूप से आनलाइन खरीदारी कर रहे थे। जनसंख्या में इंटरनेट उपयोक्ताओं की यह भागीदारी 2021 तक बढ़कर 45% प्रतिशत होने की उम्मीद है। इसी तरह आनलाइन क्रेताओं की संख्या भी बढ़कर 90% होने की उम्मीद है।
इसके अनुसार ज्यादातर खरीद (56%) डेस्कटॉप के जरिए की जा रही है। आनलाइन खरीद में स्मार्टफोन का हिस्सा 30% है। लेकिन 2020 तक मोबाइल घनत्व बढ़कर जनसंख्या का 54% होने की उम्मीद है ऐसे में भारत में एम (मोबाइल) कामर्स में बड़ी उम्मीद है और इसकी ई कामर्स राजस्व में 70% भागीदारी होगी। रपट के अनुसार लगभग 57 प्रतिशत भारतीय आपूर्ति के समय भुगतान (पीओडी) को वरीयता देते हैं। वहीं 15 प्रतिशत डेबिट कार्ड से जबकि 11 प्रतिशत क्रेडिट कार्ड से भुगतान को वरीयता देते हैं।
रपट में कहा गया है,‘हालांकि निकट भविष्य में यह सब बदलने वाला है। मोबाइल उपयोक्ताओं की बढ़ती संख्या के साथ सरकार नागरिकों को गैर नकदी वाले भुगतान के लिए प्रोत्साहित कर रही है और आने वाले दशक में डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी होनी चाहिए।’

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