भारतीय मतदाता संगठन ने न्यायालय से माफी मांगी
नयी दिल्ली, एक धर्मार्थ संगठन ने आज प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ ‘‘हितों का टकराव’’ का मुद्दा उठाने के लिए आज उच्चतम न्यायालय से बिना शर्त माफी मांग ली।
न्यायालय ने संगठन की माफी स्वीकार कर ली। इससे पहले न्यायालय ने “न्यायाधीशों को निशाना बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति” पर नाराजगी जतायी थी। शीर्ष अदालत ने संकेत दिया था कि संगठन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
भारतीय मतदाता संगठन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि संवैधानिक नैतिकता के विपरीत, प्रधान न्यायाधीश के एक रिश्तेदार जो ओडिशा से सांसद हैं, यहां अदालतों और न्यायाधिकरणों में एक वरिष्ठ वकील के रूप में वकालत कर रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह की दलीलों पर गौर किया और मामले को बंद कर दिया।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर संगठन ने यह अंतरिम याचिका दायर की थी।
जनहित याचिका में सांसदों-विधायकों के वकील के रूप में वकालत करने पर प्रतिबंध की मांग की गई थी। अदालत ने नौ जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

