कार्तिक पूर्णिमा पर जलाएं पाँच आटे के दीपक, मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। यह दिन पुण्य, दान और दीपदान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा तथा दीपदान करने से असीम शुभ फल प्राप्त होता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवताओं ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में दीप प्रज्वलित कर उत्सव मनाया था। तभी से यह तिथि देवताओं की दिवाली के रूप में जानी जाती है।
शास्त्रों में दीपदान का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक पूर्णिमा की शाम को दीप जलाने का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन यदि श्रद्धा और भक्ति से दीपदान किया जाए, तो गरीबी, दरिद्रता और जीवन के दुखों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन आटे से बने पाँच दीपक जलाकर घर के विभिन्न स्थानों पर रखने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
कहाँ रखें पाँच दीपक — पाँच स्थानों का धार्मिक महत्व
तुलसी के नीचे दीपक
तुलसी में माता लक्ष्मी का वास माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा की शाम प्रदोष काल में पूजा-अर्चना के बाद तुलसी के पौधे के नीचे एक आटे का दीपक अवश्य रखना चाहिए।
ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
मुख्य द्वार पर दीपक
मुख्य द्वार को सुबह अच्छी तरह साफ कर, शाम को वहां एक आटे का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में दरिद्रता प्रवेश नहीं करती और लक्ष्मीजी का वास बना रहता है। यह दीपक घर के सुरक्षा कवच की तरह नकारात्मक शक्तियों को भी दूर रखता है।
रसोईघर में दीपक
आरती और पूजा के बाद एक आटे का दीपक रसोईघर में रखें। इसे पानी से भरे पात्र के पास रखना शुभ माना गया है। यह दीपक माता अन्नपूर्णा को समर्पित होता है और इससे घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती।
छत पर दीपक
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए छत पर दीपक जलाना आवश्यक माना गया है। यह दीपक नकारात्मकता को समाप्त करता है और घर में शांति व सुख का वातावरण बनाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यह दीपक ऊर्जा संतुलन और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
आंगन में दीपक
प्रदोष काल में पूजा के बाद आंगन में एक दीपक अवश्य रखें। यह दीपक घर के सभी सदस्यों पर लक्ष्मीजी की विशेष कृपा बनाए रखता है। मान्यता है कि इससे घर में आपसी प्रेम, सौहार्द और खुशहाली बढ़ती है।
आध्यात्मिक संदेश और लाभ
कार्तिक पूर्णिमा का दिन केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने का दिन है। दीपक जलाना अंधकार मिटाने का प्रतीक है — यह न केवल घर का अंधकार दूर करता है, बल्कि मन और आत्मा को भी प्रकाशमान करता है। पांच दीपक जीवन के पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतीक हैं — जो संतुलन और समृद्धि की राह खोलते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा की यह रात भक्ति, प्रकाश और समृद्धि का संगम है। यदि श्रद्धा और विधि से दीपदान किया जाए, तो न केवल घर में लक्ष्मी का आगमन होता है, बल्कि जीवन के अंधकार में भी उजाला फैल जाता है। इसलिए इस देव दिवाली पर, अपने घर में पाँच दीपक अवश्य जलाएं — सुख, शांति और समृद्धि स्वयं आपके द्वार तक आ जाएगी।
