
लखनऊ। ‘जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का’ यह कहावत तो अपने सुनी ही होगी। कुछ ऐसा ही कहना है लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों का। जिसने केंद्रीय जीएसटी विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को अपना सैंया बना लिया है और गाते घूम रहे हैं कि ‘जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का’। पूरा प्रकरण समझने के लिए आपको भारत सरकार की ’सबका विश्वास विरासत विवाद समाधान योजना’ को समझना होगा।
ज्ञात हो कि भारत सरकार ने, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर से सम्बंधित पूर्ववर्ती कर-विवादो के निस्तारण हेतु, “सबका विश्वास विरासत विवाद समाधान योजना” नामक आकर्षक योजना लायी थी, जिसमें करदाताओं को अपने पूर्ववर्ती कर-विवादों से, उनके श्रेणी के आधार पर निश्चित कर राशि, पूर्ण ब्याज और जुर्माने की छूट के साथ, केवल एक निश्चित कर राशि का भुगतान कर, मुक्त होने का अवसर प्रदान किया गया था।
SVLDRS के नियम कानून पूर्णतः स्पष्ट थे जिसके अनुसार करविवाद मामला 30 जून 2019 जिस भी स्तर पर लम्बित होगा उसी आधार पर कर दाता को वर्गीकृत करके लाभ दिया जा सकता था। इस मामले में ऐसा आरोप है कि एलडीए को नियम विरूध जाकर गलत श्रेणी में योजना का लाभ देकर दो अरब रूपये का फायदा पहुंचाया गया। एलडीए का मामला 30 जून 2019 को लिटीगेशन वर्ग में लंबित था। जबकि उनको दूसरे वर्ग में योजना का लाभ दिया गया। जिससे भारत सरकार को इतना बड़ा नुकसान हुआ जिससे कई अस्पताल व स्कूल खोले जा सकते थे।
ज्ञात हो कि तत्कालीन प्रधान आयुक्त महेंद्र रंगा और अपर आयुक्त विवेक कुमार जैन के खिलाफ दो साल पहले इसी योजना के तहत गलत श्रेणी में वर्गीकृत करके अपनाटेक कंसलटेंसी को लगभग 41 लाख रूपये का फायदा पहुंचाया था। जिसकी अभी तक विभागीय जांच रही है। इस विभागीय जांच को तत्कालीन प्रधान आयुक्त महेंद्र रंगा व अपर आयुक्त विवेक कुमार जैन द्वारा अपनी पहुंच व रसूक के बल पर गत दो वर्षों से दबवाया जा रहा है।
उपरोक्त मामले में हुए खेल द्वारा भारत सरकार को हुई हानि और आवेदनकर्ता को नामित समिति के सदस्यों प्रधान आयुक्त महेंद्र रंगा एवं अपर आयुक्त विवेक जैन द्वारा जान-बूझकर (क्यूँकि महेंद्र रंगा, प्रधान आयुक्त ने ही लम्बित SCNs को आनन फ़ानन में adjudicate किया था अतएव वो सारे तथ्यों से अवगत थे) पहुँचाये गए अनुचित, भ्रष्ट और अवैध लाभ की गणना निम्नवत हैं:
Category | Duty amount | Pre-deposit | Amount for calculation for SVLDRS | Payable amount as per scheme | Benefit of Pre-deposit | Final payable amount |
Litigation category | 799,83,63,019
(Tax dues as per SCNs) |
15,93,97,486 | 799,83,63,019 | 399,91,81,510 (50%) | 15,93,97,486 | 383,97,84,024 |
Arrears category | 310,21,68,843
(Confirmed demand) |
15,93,97,486 | 294,27,71,357 | 1,76,56,62,814 (60%) | 0 | 1,76,56,62,814 |
Revenue loss to the Government and undue benefit to applicant | 207,41,21,210 |
उपरोक्त सारणी से ऐसा प्रतीत होता है कि Lucknow Development Authority (LDA) के SVLDRS के तहत घोषणा संख्या SVLDRS-1 ARN No LD1501200010185 में नामित समिति के सदस्य वस्तु एवं सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तत्कालीन प्रधान आयुक्त महेंद्र रंगा और तत्कालीन अपर आयुक्त विवेक कुमार जैन ने आवेदनकर्ता को अनुचित लाभ पहुंचा कर भारत सरकार को 207 करोड़ रूपये का चूना लगाया है।
उपरोक्त मामले की जांच की जाए तो दोनों ही अधिकारियों की नौकरी जाना तय है। इस संबंध में राष्ट्र रक्षक समूह ने प्रधानमंत्री से शिकायत की है और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।