अरे भैया यह क्या सुनाई पड़ रहा है मुम्बई कस्टम कार्यालय में मर्यादा तार-तार हो गई हैं। अपने रेंज वाले चीफ को ज्वाइन करना था सो पूरा कार्यालय जगमगा रहा था। लेकिन जब चीफ साहब कार्यभार लेने के लिए पहुंचे तो वहां अंग्रेज़ो के समय की राजशाही का रूप देख कर  सभी दंग रह गए। भैया गजब तो तब हो गया जब चीफ साहब ने समूह-ख के अधिकारियों से बाक़ायदा बाज़े-गाजे के साथ समूह-ख के अधिकारियों से सफ़ेद वर्दी में गार्ड ऑफ ऑनर तक ले लिया। यह साहब ने क्या कर दिया। कोई कह रहा है सलामी ले सकते हैं तो कोई कह रहा है यह नियमों के खिलाफ है।

कस्टम का चीफ बनने के बाद पहली बार प्रमोद कुमार अग्रवाल मुंबई हेड आफिस पहंचे तो उन्हें विभाग द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया जो चर्चा का विषय बन गया। विभाग के नियमों के मुताबिक किसी भी अधिकारी को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता। यह बात हम नहीं कह रहे यह विभाग ने लोक सभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया है। जिसमें उसने साफ कहा है कि विभाग में किसी भी अधिकारी को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता है।

एक तरफ़ मोदी जी वीवीआईपी संस्कृति को ख़त्म करने की घोषणा कर रहे है, दूसरी तरह भारत सरकार के उच्च अधिकारी नागरिकों के लाखों रुपए को स्वाहा कर सैन्य सलामी ले कर अपने अहंकार को संतुष्ट कर रहे हैं।

इससे स्पष्ट हैं कि भारत सरकार के अधिकारी के अंदर से मोदी सरकार का भय ख़त्म हो चुका हैं और मोदी जी को अपने आपको प्रधान सेवक कहने के बावजूद, ये अधिकारी अपने आपको शहंशाह ही समझते है और अपने विभागों के अंदर उच्च वीवीआईपी संस्कृति को पालते पोसते हैं। नागरिकों के गाढ़ी कमाई के पैसों से ये विलासी सुविधाओं पर शहंशाह की तरह रहने वाले अधिकारी मोदी सरकार के प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं ? क्या ये वास्तव में लोक सेवा कर सकते है ?

मोदी सरकार को तत्काल जाँच करके नागरिकों के पैसों से अनाप शनाप सुविधाओं और वीवीआईपी संस्कृति में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर सेवा से बर्खास्त करना चाहिए क्यूँकि इस मानसिकता के अधिकारी नागरिक सेवा में शोषण और अनैतिकता के स्तम्भ हैं। इनको देख कर ही और विभाग के अधिकारी भी अपने कर्मचारियों से गार्ड ऑफ़ ऑनर आदि उच्च VVIP संस्कृति पर नागरिकों की गाढ़ी कमाई उड़ाते हैं।

क्या कहते हैं पुलिस और प्रशासन के अधिकारी

“एक प्रोटोकॉल होता है जिसके तहत वीआईपी और वीवीआईपी लोगों को गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया जाता है. इस लिस्ट में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री आते हैं. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को भी राज्य पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. इसके लिए एक अलग रिजर्व टुकड़ी पुलिस फोर्स के पास होती है. किसी राजनीतिक दल के प्रमुख को ये सम्मान नहीं दिया जा सकता है.”

“अगर कोई कर्तव्यपालन के दौरान शहीद हुआ है, चाहे वो सीआरपीफ के हों, बीएसफ के हों या फिर आर्म्ड फोर्सेस के हों, उनको ये सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी ये सम्मान दिया जाता है. यदि पुलिस का अपना कोई जवान शहीद होता है तो उसको दिया जाता है. वर्तमान सांसद और विधायकों को भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है.”

“जो पुलिस थानों पर तैनात होती है, उन्हें बहुत अच्छी प्रैक्टिस नहीं होती है सलामी की, तो पुलिसलाइन में जो हमारी सिविल पुलिस के कॉन्सटेबल रहते हैं, वो प्रैक्टिस करते रहते हैं. उन्हीं में से 8  कांस्टेबल और 2 हेड कांस्टेबल भेजे जाते हैं. ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ को एक लाइन में परिभाषित किया जाए तो उन लोगों के लिए सम्मान है जिन्होंने राष्ट्र के लिए काम किया है, कुर्बानी दी है.”

गार्ड ऑफ ऑनर और किसे दिया जाता है?

जब किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भारत आते हैं तो उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा भी जो विशिष्ट अतिथि भारत आते हैं, उन्हें भी ये सम्मान दिया जाता है. सरल शब्दों में कहें तो भारतीय सशस्त्र सेना वीवीआईपी के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर का आयोजन करती है.

1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश की तीनों सेनाओं को मिलाकर एक खास टुकड़ी बनाई  गई थी. इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के 100 लोगों को शामिल किया गया. इसको ट्राई सर्विस ऑफ गार्ड कहा जाता है. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. इसको राष्ट्रपति भवन या केंद्रीय सचिवालय में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अन्य वीवीआईपी की यात्राओं के दौरान तैनात किया जाता है.

कैसे दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

सलामी के वक्त मुख्य अतिथि एक डायस पर खड़े होते हैं. गार्ड का कमांडर उनके पास आता है और निरीक्षण करने के लिए कहता है. कमांडर विशिष्ट अतिथि से कहता है, “श्रीमान, महोदय, सम्मान गार्ड आपके निरीक्षण के लिए हाजिर है.”

इसके बाद वीवीआईपी गार्ड का निरीक्षण करता है. वह इंस्पेक्शन लाइन पर कदम बढाता है. जैसे जैसे वह आगे बढ़ता है, सभी गार्ड उसकी ओर चेहरा घुमाते हैं. इस दौरान कमांडर उसकी दाईं  ओर चलता है. निरीक्षण खत्म होने के बाद गार्ड कमांडर वीवीआईपी को सैल्यूट करते हैं. जब तक वीवीआईपी वहां मौजूद रहता है, तब तक गार्ड ना तो उस जगह को छोड़ता है और ना ही विश्राम की मुद्रा में आता है.

भारत के राष्ट्रपति को 150 सैनिक और भारत के प्रधानमंत्री को 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. भारत के उपराष्ट्रपति के लिए भी 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. बाकी अन्य वीवीआईपी को 50 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *