देहरादून, भैया दूज के पावन पर्व पर उत्तराखंड में उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ और यमुनोत्री धामों के कपाट भारी बर्फबारी के बीच सोमवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए।

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान भोले शंकर को समर्पित केदारनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के उनके समकक्ष त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उपस्थित रहे ।

उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री मंदिर के कपाट रविवार को अन्नकूट—गोवर्धन पूजा के पर्व पर बंद किए गए थे। उत्तराखंड के चारधामों में से तीन धामों—गंगोत्री, केदारनाथ और यमुनोत्री— के कपाट अब बंद हो चुके हैं। चमोली में बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को अपराह्न तीन बजकर 35 मिनट पर बंद किए जाएंगे और इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा ।

मंदिर में आठ बजकर 30 मिनट पर कपाट बंद होने से पहले सोमवार तड़के ही परंपरागत पूजा शुरू हुईं और भगवान शिव की समाधि पूजा की गयी । इस पूजा में केदारनाथ मंदिर के पुजारी एवं परंपरागत तीर्थ पुरोहित, स्थानीय प्रशासन और चारधाम देवस्थान बोर्ड के अधिकारियों के अलावा योगी और रावत भी शामिल हुए।

कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ भगवान की पंचमुखी उत्सव मूर्ति शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना कर दी गयी। शीतकाल के दौरान श्रद्धालु उखीमठ में ही भगवान केदार के दर्शन कर सकेंगे ।

इस वर्ष कोविड-19 के कारण देर से जुलाई में शुरू हुई यात्रा में 1.35 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए ।

सोमवार अपराह्न सवा 12 बजे उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गये। बारिश और बर्फबारी के बीच कपाट बंद होने के दौरान धार्मिक अधिकारियों, तीर्थ—पुरोहितों और चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद थे। इस अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था ।

कपाट बंद होने के पश्चात मां यमुना की उत्सव डोली उनके मायके खरसाली के लिए रवाना हो गयी, जहां शीतकाल के दौरान उनका प्रवास रहेगा ।

देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि इस वर्ष यमुनोत्री धाम में आठ हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए ।

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