लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम प्रबंध तंत्र की लापरवाह कार्यशैली से बरसाती बाढ़ में निर्माणाधीन सेतुओं की साइटों पर लगभग 5 करोड़ की मशीनें डूब गई हैं। अयोध्या, बरहज देवरिया, आजमगढ़ और बलिया जनपदों की विभिन्न नदियों पर कीमती मषीनों ने जल समाधि ले ली है। इस लापरवाही से राजकीय खजाने पर बोझ बढ़ना तय है।

विभागीय जानकारों की मानें तो स्पष्ट निर्देश हैं कि मानसून आने से पूर्व नदियों पर निर्माणाधीन सेतुओं की साइटों से निर्माण सामग्री और समस्त मशीनें आदि समय रहते हटा ली जाय, जिससे आर्थिक क्षति से बचा जा सके। पर, वर्तमान सेतु निगम प्रबंध तंत्र इस व्यवस्था का पालन कराने में पूरी तरह फेल रहा। नतीजतन, एक के बाद एक नदियों में करोड़ों की मशीनें लगातार डूबती रहीं।

इन साइटों पर डूबती मशीनों के वीडियो सेतु निगम के प्रबंध निदेशक से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मोबाइल की गैलरी में कैद हैं।

मेंटीनेंस में खर्च होगी मोटी रकम
जानकारों की मानें तो सेतु निगम के जिम्मेदार अधिकारी नदियों में डूबी इन मषीनों के मेंटीनेंस के नाम पर निगम कोष से बड़ी राषि खर्च करने की कार्य योजना बनाने में जुट गये हैं।

आजमगढ़ में सीपीएम, एई और जेई की लापरवाही जगजाहिर
​आजमगढ़ जनपद में सरयू नदी पर निर्माणाधीन सेतु गोलाघाट पर बीते दिनों दो क्रेन, दो एल्बा मिक्स प्लांट, जनरैटर, गार्डन विकी, कॉलम सरिया स्टील, शटरिंग प्लेट एवं स्टोर के कई बरजा ‘जिस पर मटेरियल रखकर नदी में काम करते हैं‘ वह नदी में डूब गया। जानकारों की की मानें तो राजकीय धन की इस बर्बादी के गुनहगार प्रत्यक्षरूप से सीपीएम गोरखपुर सुनील कुमार, सहायक अभियंता और अवर अभियंता हैं।

यह है व्यवस्था
शासन का आदेश है की बरसात से पहले नदी में पड़े हुए सामान को बाहर सुरक्षित निकाल लिया जाय।

देवरिया में क्रेन, जरनैटर और आइब्रो मशीन पानी में बही
इस घटना के कुछ दिन पूर्व ही देवरिया यूनिट भी इसी तरह की घटना की गवाह बनी। पर, इससे कोई सीख नहीं ली गई। यहां बरजा सहित क्रेन नदी में बह गई थी। साथ जरनैटर एवं स्टील आइब्रो मशीन भी नदी में समा गई।

बनारस में बेंच दी गई मशीनें!
जानकारों की मानें तो प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में मुख्य परियोजना प्रबंधक दीपक गोविल के सांठ-गांठ से कई मशीन जो विभाग में काम कर रही थी उसे बेंच दिया गया है। इस संबंध में जानकारी के लिए मुख्य परियोजना प्रबंधक के मोबाइल पर कई बार सम्पर्क किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

मीटिगों में बात खर्च कम करने की, हकीकत कुछ और
गौरतलब है कि बीते दिनों सेतु निगम निदेशक मंडल की 178वीं बैठक में सेतुओं के निर्माण में समय की बचत, बेहतर गुणवत्ता और रख-रखाव के खर्च में कमी लाने की योजना बनी थी। पर, हकीकत इसके उलट है। भ्रष्टाचार और लापरवाह कार्यशैली को बदल कर प्रदेश के विकास में नई कार्य संस्कृति और नई ऊर्जा के साथ प्रदेश के विकास में योगदान करने वाले संजीदा प्रयासों का अभाव बरकरार है।

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