लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सरकार भले दावा कर रही हो कि बीते तीन सालो में सूबे में अपराध कम हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश के कई थानों की पुलिस ने अपराध को छुपाने के लिए मुकदमें दर्ज करना कम कर दिया है। ज्यादातर मामलों में थानों से पीड़ितों को टरकाया जा रहा है। अपसी समझौतों के नाम पर पीड़ितों का शोषण किया जा रहा है।

शोषण की ताजा उदाहरण चार जुलाई को मडियाव थाने में देखने को मिला। थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे पीड़ित रामचंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी टैक्सी कार फरवरी में अनुज कुमार मिश्रा को 15000 मासिक किराये पर दी थी।

कई बार पैसा मांगने पर अनुज ने पैसा देने से मना कर दिया। चार जुलाई को जब रामचंद्र अपनी टैक्सी कार मांगने गया तो अनुज ने अपने अपने साथियों के साथ मिलकर रामचंद्र को मारा पीटा और जातिसूचक गालियां दी।

पीड़ित रामचंद्र ने पुलिस को बताया कि अनुज कुमार मिश्रा ने उसे जान से मारने की भी धमकी दी है। इसके बाबजूद मडियाव पुलिस ने रामचंद्र को मुकदमा दर्ज नहीं किया। उलटा उसे ही थाने में देर रात तक बैठाये रही। और अब पुलिस पीड़ित रामचंद्र पर अनुज कुमार मिश्रा से समझौता कर लेने का दबाब बना रही है।

अनुज के पड़ोसियों ने बताया कि यह एक अपराधी किस्म का आदमी है। कई अपराधियों के साथ उसका उठना बैठना है। अनुज प्रापर्टी का भी काम करता है और इसने कई लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जा भी कर रखा है। अनुज पुलिस को भी खिलाता पिलाता रहता है। जिससे कोई उसके खिलाफ उंगली न उठा सके।

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