नई दिल्ली, पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव के बीच भारतीय नौ सेना की एक टीम भी पैंगोग त्सो लेक पहुंची है। सूत्रों के मुताबिक इंडियन नेवी की चार सदस्यों की एक टीम दिल्ली से वहां गई है। करीब एक हफ्ते पहले यह टीम ईस्टर्न लद्दाख गई और अभी टीम वहीं मौजूद है।

सूत्रों के मुताबिक, इंडियन नेवी की टीम वहां बेसिक बोट हैंडलिंग और मेंटेनेंस के लिए गई है। पैंगोग त्सो एरिया में इंडियन आर्मी तैनात है और आर्मी की टीम पैंगोग लेक (त्सो मतलब लेक) में बोट के जरिए पेट्रोलिंग करती है। इस महीने की शुरुआत में जब एलएसी में तनाव बढ़ने लगा तो चीन ने पैंगोग त्सो में अपनी पेट्रोलिंग बोट की संख्या बढ़ा दी। भारत की तरफ से भी तैनाती उसी तरह बढ़ाई जा रही है जिस तरह चीन तैनाती बढ़ा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, चीन ने कुछ दिनों पहले वहां दो गुना ज्यादा बोट पेट्रोलिंग के लिए तैनात कर दी और चीनी सैनिक अग्रेसिव पेट्रोलिंग करने लगे। पैंगोग त्सो का करीब 45 किलोमीटर का पश्चिमी हिस्सा भारत के नियंत्रण में है। समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर पैंगोग त्सो 135 किलोमीटर लंबी लेक है। इसका दो तिहाई हिस्सा चीन के कंट्रोल में है।

पैंगोग त्सो शुरू से ही भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प का एक पॉइंट रहा है। पैंगोग त्सो में पेट्रोलिंग में पहले चीन ज्यादा ताकतवर दिखता था लेकिन 2012 में भारतीय सेना को जब नई हाईटेक क्यूआरटी (क्विक रिएक्शन टीम) बोट मिली तो चीन को लगातार टक्कर मिलने लगी। नई बोट में जीपीसी, नाइट विजन डिवाइस तो लगा ही है, साथ ही ये मशीनगन से भी लैस हैं। इसमें एक वक्त में 16-17 सैनिक हो सकते हैं। इससे पहले भारतीय सेना पुरानी बोट में पेट्रोलिंग करती थी जबकि चीन के सैनिकों के पास सुपीरियर बोट थी।

भारत ने अमेरिका से पेट्रोलिंग बोट खरीदी और 2012 में उन्हें पैंगोग त्सो में तैनात किया। तब से इस जगह के समीकरण भी बदल गए। साल 2000 में चीन ने भारतीय पेट्रोलिंग बोट को टक्कर मार दी थी और करीब 20 चीनी बोट झील की भारतीय सीमा के 10 किलोमीटर अंदर आ गई थी। 2012 में भारतीय सैनिकों के पास भी नई बोट आ जाने से चीन की तकनीक के मामले में सुपीरियरटी खत्म हो गई। अब भारत के सैनिक चीन के सैनिकों का बराबरी पर मुकाबला कर रहे हैं।

About The Author

Leave a Reply

%d bloggers like this: