लखनऊ : भर्ती घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम (यूपीएसआइसी) के तत्कालीन आइएएस प्रबंध निदेशक केदार नाथ सिंह सहित निगम और राजस्व परिषद के पांच अफसरों को निलंबित किया गया है। दोषी अफसरों और संबंधित संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और सतर्कता जांच के भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नियम विरुद्ध नियुक्त किए गए सभी संविदाकर्मियों की बर्खास्तगी के भी आदेश दिए गए हैं। तहसीलों और कलेक्टेट में तकरीबन चार हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के भर्ती घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है।
निगम द्वारा तहसील व कलेक्ट्रेट में चतुर्थ श्रेणी के लगभग चार हजार पदों को भरने में नियमों का उल्लंघन कर अभ्यर्थियों से धन उगाही करके नियुक्ति पत्र जारी करने की शिकायतों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार को जांच सौंपी थी। 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने से पहले प्रभात कुमार ने शासन को जांच रिपोर्ट दे दी। एपीसी की जांच में भर्ती घोटाले का खुलासा होने पर मुख्यमंत्री ने दोषी अफसरों व संस्थाओं के के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने गुरुवार देर शाम बताया कि दोषी अफसरों व संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई के आदेश विभागों को दे दिए गए हैं।
भर्ती के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए लघु उद्योग निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक केदार नाथ सिंह को निलंबित किया गया है। वर्ष 2012 बैच के आइएएस सिंह वर्तमान में पर्यटन विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत हैं। इनके साथ ही राजस्व परिषद के उप भूमि व्यवस्था आयुक्त सुनील कुमार चौधरी, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी प्रदीप कुमार, उप प्रबंधक लेखा केएन अवस्थी तथा प्रबंधक मैनपावर राजीव त्रिपाठी को भी निलंबित किया गया है। सभी अफसरों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही के साथ-साथ भर्ती के लिए दोषी सभी छह सेवा प्रदाता संस्थाओं के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराने के आदेश राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव को दिए गए हैं। परिषद को तत्काल प्रभाव से सभी संस्थाएं ब्लैक लिस्ट कर उनकी सिक्योरिटी धनराशि भी जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
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