नई दिल्‍ली एजेंसी । गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई की मध्यरात्रि में सदी का यह सबसे लंबा चंद्रग्रहण ग्रहण लगने जा रहा है। इस खगोलिय घटना में करीब चार घंटे तक चन्द्रमा इस ग्रहण के प्रभाव में होंगे। इस दिन मंगल भी पृथ्वी के काफी करीब आने वाला है।

यह चंद्रग्रहण भारत के अलवा ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोपीय देशों व अंर्टाकटिका में भी अासानी से देखा जा सकेगा। इस वर्ष यह दूसरा मौका होगा जब ग्रहण के समय ब्लड मून दिखेगा। खगोलविद् बताते हैं कि ‘ब्लड मून’ इसके रंग की वजह से कहा जाता है। दरअसल, चंद्रग्रहण के समय जब सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है तो सूरज की किरण रुक जाती है। पृथ्वी के वातावरण की वजह से रोशनी मुड़कर चांद पर पड़ती है और इस वजह से यह लाल नजर आता है। जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है तभी ब्लड मून होता है।

करीब एक 150 साल बाद चन्द्रमा अपने उस रूप में फिर से दिखाई देगा जैसा 27 जुलाई की रात में दिखाई देने वाला है। सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण आज से 1700 साल पहले पड़ा था। चन्द्रग्रहण का आरंभ रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 1 बजकर 54 मिनट पर होगा और 28 जुलाई को सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर ग्रहण का मोक्ष यानी समापन होगा। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनट की होगी।

खगोलविदों का दावा है कि अगर मौसम सही रहा तो इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इससे आपकी आंखों को कोई क्षति नहीं होगी। चंद्रग्रहण देखने के लिए टेलिस्कोप की जरूरत नहीं होगी। लेकिन अगर टेलिस्कोप से देखेंगे तो आपका चांद और भी खूबसूरत नजर आएगा।

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