अंतरिक्ष में अंतरिक्षयात्रियों को भेजने के लिए प्रौद्योगिकी हो चुकी विकसित : इसरो

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नयी दिल्ली, इसरो के अध्यक्ष के सिवान ने आज कहा कि देश के अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली प्रौद्योगिकी विकसित की जा चुकी है । इस दिशा में मानव क्रू मॉडयूल और पर्यावरण नियंत्रण तथा जान बचाने की प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकी विकसित हो चुकी है।

सिवान ने कहा कि 2022 में यान को रवाना करने के पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-III का इस्तेमाल करते हुए दो मानवरहित मिशन और यानों को भेजेगा।

सिवान ने बताया, ‘‘ हम मानव क्रू मॉडयूल और पर्यावरण नियंत्रण तथा जान बचाने की प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकी पहले ही विकसित कर चुके हैं। यान भेजने के पहले हम दो मानवरहित मिशन को अंजाम देंगे। इस परियोजना के लिए हम जीएलएसवी मार्क-III का इस्तेमाल करेंगे।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि साल 2022 तक ‘‘गगनयान’’ के माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जायेंगे। यदि संभव हुआ तो भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। भारत में जन्मीं कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष गयी थीं।

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